टूट चुकी थी बसंती

पिता को पेरालाइसिस अटैक होने और उसके बाद किसी अपने का हेल्प नहीं मिलने के बाद बसंती टूट चुकी थी। घर की स्थिति खराब देख उसने कुछ करने की ठानी और उसे हेल्प मिला एक महिला संगठन से। उसे संगठन में पढ़ाने का जिम्मा मिला। पड़ोसी और पूरे गांव के विरोध के बाद भी उसी संगठन की हेल्प से बसंती की शादी हुई। 10 हजार रुपए उधार लेकर दोनों ने खेती का काम शुरू किया और कुछ ही सालों में न सिर्फ 4 लाख रुपए का घर बना लिया, बल्कि अच्छा खास बैंक बैलेंस भी बसंती के पास हो गया। अब वह खुद खेतों में काम करने नहीं जाती, मजदूर रखती है और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढऩे के लिए भेजती है। बसंती की जिंदगी के इस सच्चाई को सुनने वाले एक्सलर्स और बाहर से आए कई एक्सपट्र्स थे और मौका था तीन दिनों तक चलने वाले सोशल इंटरप्रेन्योरशिप पर 6ठे नेशनल कांफ्रेंस के इनॉगरल डे का।

सुधार का जिम्मा लिया

चांडिल के एक गांव में रहने वाले कीनाराम ने अपने गांव में वह कर दिखाया जो उसके पहले कोई नहीं कर पाया। 100 घरों के गांव में 14 से ज्यादा शराब की भट्ठी थी। लोग खेती करते पर उससे साल भर खाने के लायक भी अनाज नहीं उगा पाते। मजदूरी से जो पैसे कमाते वह शराब में उड़ा देते। स्थिति ऐसी हो गई थी कि लोग गांव छोडक़र जाने को मजबूर हो रहे थे। तब कीनाराम ने परिस्थिति से लडऩे और स्थिति में सुधार का जिम्मा लिया। उसने गांव के कुछ यूथ के साथ मिलकर एक  टीम बनाई जो शराब के भट्ठों को बंद कराने का काम करते। उन्होंने मिलकर विलेजर्स को समझाया और फाइनली अपने मकसद में सफल हो गए। अब कीनाराम के गांव में खुशहाली है। बसंती और कीनाराम के अलावा बृहस्पति, सुशील मांझी और पार्वती ने भी अपनी सक्सेस स्टोरी शेयर की।

पहली बार यूट्यूब पर लाइव दिखा प्रोग्राम

छोटी जगहों से आए लोगों की सक्सेस स्टोरी फ्राइडे को यूट्यूŽा पर लाइव दिखी.एक्सएलआरआई द्वारा पहली बार यह व्यवस्था की गई थी ताकि डेवलपमेंट सही मतलब वे भी देख सकें जो सिटी से दूर रहते हैं और किसी कारण से इस प्रोग्राम में नहीं आ पाए। एक्सलआरआई के फैकल्टी मेंबर प्रो मधुकर शुक्ला ने कहा कि एक्सएलआरआई के एल्युमनाई अक्सर ऐसे प्रोग्राम को मिस करते हैं और वे इसे लाइव दिखाने की बात कर रहे थे इसलिए इस बार एक्सएलआरआई के ब्रांड चैनल पर सोशल इंटरप्रेन्योरशिप पर नेशनल कांफ्रेंस को लाइव दिखाया जा रहा है।

'इस नेशनल काफ्रेंस के दौरान यह मैसेज देने की कोशिश है कि जिनके डेवलपमेंट की बात हाई लेवल पर की जाती है एक्चुअली उनकी क्या स्थिति है। विलेजेज से आए लोगों की सक्सेस स्टोरी काफी कुछ बयां कर रही है.'

-प्रो मधुकर शुक्ला, फैकल्टी, एक्सएलआरआई

'इंटर में पढ़ाई के दौरान ही मैं कलामंदिर से जुड़ गई। अब मुझे फिक्स सैलरी मिल रही और मैंने ग्रेजुएशन भी कर लिया.'

- देवला मुर्मू, करणडीह

Report by: jamshedpur@inext.co.in

National News inextlive from India News Desk