-लंबी उम्र के लिए नवजात शिशु देखभाल सप्ताह का किया जाएगा आयोजन

-हेल्थ वर्कर नियमित टीकाकरण के प्रति भी लोगों को करेंगे जागरूक

स्वास्थ्य विभाग नवजात बच्चों की जान बचाने को लेकर गंभीर हो चला है। इनके असमय होने वाली मौत को रोकने के लिए विभाग ने नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाने का फैसला लिया है.14 से 21 नवम्बर तक चलने वाला यह कार्यक्रम बनारस समेत पूरे प्रदेश में आयोजित किया जाएगा। इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (उत्तर प्रदेश) के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भी जारी कर दिया है। उनका कहना है कि इस सप्ताह को आयोजित कराने का मकसद समुदाय तक ये संदेश पहुंचाना है कि नवजात को लम्बी उम्र देने के लिए वह कौन से तरीके हैं, जिन्हें अपनाना बहुत ही जरूरी है।

हर वर्ग से लिया जाएगा सहयोग

एसआरएस-2016 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह सूचकांक 34 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इनमें से तीन चौथाई शिशुओं की मृत्यु जन्म के पहले हफ्ते में ही हो जाती है। इन आंकड़ों को देखते हुए नवजात की बेहतर देखभाल करने और लोगों को जागरूक करने के लिए यह कदम बढ़ाया गया है। इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को पूर्ण रूप से प्रशिक्षित करने के साथ ही अन्य सहयोगी विभागों व स्वैच्छिक संस्थाओं की भी मदद ली जा रही है। इस बात पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किस प्रकार हर वर्ग के लोगों से सहयोग लेकर शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जाए।

मां का दूध ही पहला टीका

वाराणसी के मंडुआडीह नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात स्त्री और प्रसूति रोग विशेषग डॉ। सलमान का कहना है कि बच्चे के गर्भ में आने से लेकर उसके दो साल का होने तक का पीरियड बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान गर्भवती के खान-पान पर पूरा ध्यान देना चाहिए। बच्चे को जन्म के पहले घंटे में मां का दूध अवश्य पिलायें क्योंकि वही बच्चे का पहला टीका होता है। नियमित टीकाकरण भी बहुत जरूरी है, क्योंकि उससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

इन बातों पर दें ध्यान

-डिलिवरी अस्पताल में ही कराएं और प्रसव के बाद 48 घंटे तक उचित देखभाल के लिए अस्पताल में रुके।

- नवजात को तुरंत नहलाए नहीं, शरीर पोंछकर नर्म साफ कपड़े पहनाएं

- जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना शुरू करें।

- जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और जरूरी इंजेक्शन लगवाएं

- नियमित और सम्पूर्ण टीकाकरण कराएं

- नवजात की नाभि सूखी और साफ रखें और संक्रमण से बचाएं

- मां और शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी ध्यान दें।

- कम वजन और समय से पहले जन्में शिशुओं पर खास ध्यान दें

- शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) विधि अपनाएं

- नवजात को काजल न लगाएं और कान व नाक में तेल न डालें

-कुपोषण व संक्रमण से बचाव के लिए छह माह तक केवल मां का दूध पिलायें, शहद, घुट्टी, पानी आदि न पिलायें