फ्लैग : नवोदय हॉस्पिटल में आग लगने के एक दिन बाद सैटरडे को फायर डिपार्टमेंट ने की जांच
- हॉस्पिटल ने फायर सेफ्टी के मानक भी नहीं किए पूरे
BAREILLY :
कर्मचारी नगर मिनी बाईपास पर स्थित जिस नवोदय हॉस्पिटल में फ्राइडे को आग लगी थी, वह फायर डिपार्टमेंट की एनओसी के बगैर चल रहा था। सैटरडे को फायर डिपार्टमेंट के एफएसओ सोमदत्त सोनकर की जांच में यह खुलासा हुआ। उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल ने एनओसी तो छोडि़ए, फायर सेफ्टी के मानक भी पूरे नहीं किए थे। 25 बेड के इस हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन करते वक्त हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी लापरवाही बरती। ना तो नक्शे और ना ही फायर डिपार्टमेंट के मानकों की जांच की।
एफएसओ सोमदत्त सोनकर ने बताया कि मानक पूरे नहीं होने के बावजूद हॉस्पिटल के बेसमेंट में कॉमर्शियल एक्टिविटी चल रही थी, जो कि नहीं होनी चाहिए। मामले की जांच और आगे की कार्रवाई के लिए हॉस्पिटल ओनर उमेश कुमार से मंडे तक जरूरी कागजात मांगे गए हैं। साथ ही बीडीए से हॉस्पिटल का नक्शा उपलब्ध कराने को कहा गया है।
इस मामले में हेल्थ डिपार्टमेंट भी कम लापरवाह नहीं है। डिपार्टमेंट के किसी अफसर ने यह तक नहीं जांचा कि जिस हॉस्पिटल को रजिस्ट्रेशन दिया जा रहा है, वह आवासीय भवन के नक्शे पर बना है। हॉस्पिटल के बेसमेंट में ही ओटी और आईसीयू है, जहां से आने जाने का रास्ता बहुत ही सकरा है।
ऐसे किया एनओसी से बचने का खेल
हॉस्पिटल ओनर ने एनओसी से बचने के लिए ही खेल कर दिया था। मानक के अनुसार 500 वर्ग मीटर एरिया से कम की आवासीय बिल्डिंग के लिए एनओसी लेने के जरूरत नहीं होती है, लेकिन फायर सेफ्टी के सभी मानक पूरे करने होते हैं। और अगर 500 वर्ग मीटर से कम एरिया में भी अगर कोई कॉमशिर्यल एक्टिविटी होती है तो एनओसी जरूरी है। हॉस्पिटल ओनर ने आवासीय भवन बताकर बिल्डिंग तैयार कर ली और उसमें हॉस्पिटल शुरू कर दिया। ऐसे में उसे फायर डिपार्टमेंट से एनओसी लेने की जरूरत ही नहीं पड़ी। इसी खेल के चलते यह हॉस्पिटल फायर डिपार्टमेंट की कार्रवाई से बचता रहा। लेकिन, जब हॉस्पिटल में आग लगी तो पूरा खेल खुल गया।
बाद में लाए फायर एक्सटिंग्यूशर
वहीं हॉस्पिटल ओनर ने आग लगने के बाद हॉस्पिटल में फायर एक्सटिंग्यूशर भी लाकर रख दिए, लेकिन जब आग लगी थी तब फायर एक्सटिंग्यूशर नजर नहीं आ रहे थे।
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वर्जन
मैं टीम के साथ नवोदय हॉस्पिटल गया था। वहां पर निरीक्षण में फायर सुरक्षा के मानक पूरे नहीं मिले। हॉस्पिटल ओनर से हॉस्पिटल के पेपर्स मांगे गए हैं। मंडे तक मिल जाएंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सोमदत्त सोनकर, एफएसओ
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टीम ने मौके पर निरीक्षण किया था, हॉस्पिटल के पेपर्स मांगे गए हैं, लेकिन मैं अभी बाहर हूं। बरेली पहुंचकर मंडे को मैं खुद हॉस्पिटल का निरीक्षण करूंगा उसके बाद ही एक्शन लिया जाएगा।
डॉ। विनीत शुक्ला, सीएमओ
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आवासीय बिल्िडग के नक्शे पर हॉस्पिटल चल रहा है। मंडे को टीम वहां जाएगी और निरीक्षण के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, बीडीए सचिव
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बॉक्स : हॉस्पिटल में मरीज आना शुरू
आग लगने के तुरंत बाद तो हॉस्पिटल खाली करा दिया गया था। लेकिन सैटरडे सुबह ही ओपीडी शुरू कर दी गई। एक ओर जहां हॉस्पिटल में सुबह से ही मरीजों का इलाज चला, वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल में रेनोवेशन का काम चलता रहा।
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बॉक्स : इन सवालों के नहीं दिए जवाब क्योंकि जानते थे कि लोगों की जान से खिलवाड़ किया
हेल्थ डिपार्टमेंट की चूक
हॉस्पिटल में आग लगने के बाद ही सीएमओ को क्यों याद आया कि आवासीय नक्शे वाली बिल्डिंग में चल रहा है हॉस्पिटल। रजिस्ट्रेशन करते वक्त क्यों नहीं देख्ा नक्शा?
फायर डिपार्टमेंट भी सोता रहा
फायर डिपार्टमेंट ने बगैर एनओसी और मानक पूरे किए चल रहे हॉस्पिटल को नोटिस देना क्यों जरूरी नहीं समझा? इन्होंने कभी अचौक निरीक्षण कर क्यों नहीं जांचे मानक?
बीडीए ने भी दिखाइर् लापरवाही
बीडीए ने आग लगने से पहले यह क्यों नहीं जांचा कि आवासीय नक्शे पर कॉमर्शियल एक्टिविटी कैसे चल रही है?
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