सोमवार को ही विजय दशमी

मां का विसर्जन श्रवणा नक्षत्र में किया जाता है। इस बार श्रवणा नक्षत्र 13 और 14 अक्टूबर दोनों दिन है। रविवार को मां का विसर्जन नहीं किया जाता है, जिससे सोमवार को ही विजय दशमी मनाई जाएगी। पंडित विनोद झा ने बताया कि श्रवणा नक्षत्र रविवार 13 अक्टूबर को सुबह 7.13 मिनट से सोमवार यानी 14 अक्टूबर को सुबह 6.21 मिनट तक होगा। सूर्योदय में सोमवार को दशमी के कारण 14 अक्टूबर को विजय दशमी मनाया जाएगा।

रोग, शोक, कष्ट आदि घटनाएं हो सकती हैं

इस बार मां अश्व यानी घोड़े पर आ रही हैं। ज्योतिष कुलानंद झा के अनुसार मां का घोड़ा पर आना शुभ नहीं है। राज्य में लड़ाई-झगड़ा, विद्रोह आदि घटनाएं हो सकती हैं। मां की विदाई इस बार भैंस पर होगी, जिससे रोग, शोक, कष्ट आदि घटनाएं हो सकती हैं.

 
5 अक्टूबर 

- कलश स्थापना। सुबह 6.14 से शुरू होगा। विशेष मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त 11.33 से 12.25 बजे तक है। इस दिन मां के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा होती है।

6 अक्टूबर  - द्वितीय पूजा। ब्रह्मचारिणी मां की पूजा होती है।

7 अक्टूबर  - तृतीय पूजा। इस दिन चंद्रघंटा माता की पूजा की होती है।

8 अक्टूबर  - चौथी पूजा। इस दिन कंशमांडा माता की पूजा होती है।

9 अक्टूबर  - पंचमी। इस दिन स्कंदा माता की पूजा होती है।

10 अक्टूबर - षष्ठी। इस दिन कात्यायनी माता की पूजा होती है।

11 अक्टूबर - सप्तमी। इस दिन कालरात्रि माता की पूजा होती है। शाम 6.41 बजे के बाद अष्टमी हो जाएगी, जिससे इसी दिन रात में 12 बजे के बाद निशा पूजा होगी। मां का पट भी इसी दिन खुलेगा।

12 अक्टूबर - अष्टमी पूजा। सुबह 4.16 मिनट तक अष्टमी है। इस दिन महागौरी माता की पूजा होगी। पूरा दिन अष्टमी रहेगा।

13 अक्टूबर - नवमी दिन के 1.55 बजे तक रहेगा। इस दिन सिद्धदात्री माता की पूजा होती है। दोपहर 2 के बाद दशमी शुरू हो जाएगा। कई जगहों पर हवन इसी दिन होगा।

14 अक्टूबर - दशमी। सूर्योदय बाद तक दशमी का मुर्हूत होगा। कई जगहों पर दशमी इसी दिन मनाया जाएगा। सुबह 6.21 बजे तक दशमी होगा। रावण वध इसी दिन होगा. 

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