चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां अलोपशंकरी और मां कल्याणी देवी मंदिर में भक्तों ने कराया मुंडन व कर्ण छेदन संस्कार

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PRAYAGRAJ: चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन खास रहा. सोमवार का दिन होने की वजह से देवी धामों में घंटा-घडि़याल की गूंज और जयकारों के बीच भक्तों की आस्था मां भगवती का दर्शन करने के लिए उमड़ती रही तो अलोपीबाग स्थित मां अलोपशंकरी और मीरापुर स्थित शक्तिपीठ मां कल्याणी देवी के दरबार में भक्तों ने अपने बच्चों का मुंडन संस्कार और कर्ण छेदन संस्कार भी खूब कराया. इतना ही नहीं शक्ति पीठ मां ललिता देवी मंदिर में दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचे भक्तों ने मनोकामना पूर्ति के लिए निशान चढ़ाया और हलवा और पूड़ी का प्रसाद वितरित किया.

अभिषेक के बाद खुला कपाट

नवरात्र के तीसरे दिन मां कल्याणी देवी मंदिर में प्रधान पुजारी पं. सुशील कुमार पाठक व पुजारी पं. श्यामजी पाठक की अगुवाई में सुबह पांच बजे चंद्रघंटा स्वरूप में सुसज्जित मां कल्याणी का पंचामृत से महाभिषेक पूजन किया गया. उसके बाद कपाट खुला तो कतार में खड़े भक्तों ने माता रानी का जयकारा लगाते हुए उनका दर्शन किया. पूजन-अर्चन का सिलसिला दोपहर एक बजे तक चलता रहा. दो घंटे की साफ-सफाई के बाद कपाट दोबारा दर्शन के लिए खोला गया.

फूल-पत्तियों से हुआ श्रृंगार

मां ललिता देवी मंदिर में प्रधान पुजारी शिव मूरत मिश्रा की देखरेख में कोलकता के कारीगरों ने मां ललिता देवी के गर्भगृह को गेंदा, गुलाब व रजनीगंधा के फूलों और पत्तियों से सुसज्जित किया. फिर मां की मंगला आरती उतारी गई. मंदिर परिसर में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया तो दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचे पंडितों ने जप व अनुष्ठान भी किया. शाम पांच बजे मां का श्रृंगार स्वर्ण आभूषणों और बुके से करके उनका अभिषेक किया गया. वहीं चौक स्थित मां खेमामाई मंदिर में मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा का श्रृंगार बहु रंगी फूलों से किया गया. मां के अलौकिक स्वरूप का दर्शन करने के लिए देर रात तक भक्तों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहा.