ये तो सामान्य-सी बात थी क्योंकि रोज़ाना कोई न कोई नेता टीवी पर भाषण देता दिख ही जाता है। लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उप-राष्ट्रपति जोसफ़ बाइडन के साथ जो शख़्स खड़े थे उनकी ओर काफ़ी लोगों का ध्यान गया।

भारतीय मूल के अमरीकी सिख नवरूप मित्तर ठीक पीछे गुलाबी रंग की पगड़ी पहने खड़े थे। ये एक भारतीय मूल के अमरीकी के अनोखे सफ़र की कहानी है जो शुरू तो हुई ट्विटर पर एक सवाल के जवाब से और पहुंच गई अमरीकी राष्ट्रपति तक।

पिछले हफ़्ते भारतीय मूल के अमरीकी नवरूप मित्तर ने अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाईट हाउस की उस ट्वीट का जवाब लिख भेजा जिसमें पूछा गया था कि सरकार द्वारा 40 डॉलर के टैक्स की कटौती करने की योजना की अवधि बढ़ाए जाने से किस प्रकार नौकरी पेशा लोगों को मदद मिलेगी।

नवरूप मित्तर ने व्हाईट हाउस को जवाब में लिखा, “40 डॉलर तो उस व्यवसाई के कॉफ़ी का खर्च है जिसकी मदद से वह नौकरियों को जारी रख सके जिनकी हमें ज़रूरत है.”

‘अचंभा’

नवरूप बताते हैं कि उन्होंने सोचा कि 40 डॉलर यूं तो कोई बड़ी रकम नहीं लगती है लेकिन अगर नौकरीपेशा लोग या जो छोटी मोटी कंपनी चलाते हैं उनके खर्चों के बारे में सोचें तो इस रकम से तो रोज़ाना के खर्चों में भी मदद मिल सकती है।

ट्वीट भेजने के नतीजे में जो हुआ उससे नवरूप तो अचंभे में आ गए। अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाईट हाउस से उन्हे खास ट्वीट भेजी गई जिसमें उन्हे व्हाईट हाउस आने की दावत दी गई थी।

नवरूप कहते हैं, “पहले जब मैंने ट्वीट देखा तो सोचा कि यह नकली होगा या किसी और के लिए होगा। लेकिन जब गौर से पढ़ा तो व्हाईट हाउस के किसी कर्मचारी ने मेरा इमेल भी मांगा था। मैंने अपना इमेल भेज दिया। फिर मुझे व्हाईट हाउस आने की बाकायदा दावत भेजी गई.”

फिर नवरूप व्हाईट हाउस गए। वहां उन्होंने गेट पर अपना नाम कर्मचारियों को दिया और कहा कि वह यहां राष्ट्रपति के भाषण सुनने वालों में शामिल होने आए हैं। तो कर्मचारियों ने नाम देख कर कहा कि नहीं नहीं आपको बैठना नहीं है बल्कि आप को राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के साथ स्टेज पर खड़े होना है।

'सबसे ताक़तवर व्यक्ति के साथ'

नवरूप कहते हैं कि राष्ट्रपति के साथ खड़े होने का सुनकर वह पहले तो घबरा गए लेकिन फिर खुशी भी महसूस हुई कि वह दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति के साथ खड़े होंगे। भाषण से पहले ही उन्होंने राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति से मुलाकात की और साथ में फोटो भी खिंचवाई।

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के बारे में वह कहते हैं,“मैं तो बहुत ही खुश था। जब मैंने राष्ट्रपति ओबामा से हाथ मिलाया और उनसे बातें की तो मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि मैं उनसे मिल रहा हूं। वो बहुत ही अदभुत क्षण था.”

ओबामा के भाषण को दुनिया भर में प्रसारित किया जा रहा था। और बहुत से लोगों ने नवरूप को भी गुलाबी पगड़ी में अमरीकी राष्ट्रपति के पीछे खड़े देखा। लेकिन नवरूप मित्तर को इसका ख्याल ही नहीं रहा। वह व्हाईट हाउस में अपनी अहम मुलाकात निपटाने के बाद एयरपोर्ट गए और लास वेगस के लिए रवाना हो गए जहां उन्हे एक बिज़नेस मीटिंग करनी थी।

वह बताते हैं कि जब वह लास वेगस पहुंचे तो उनको फोन और ईमेल आने लगे कि उन्हें टीवी पर देखा और वह भी ओबामा के साथ। तब उन्हे समझ में आया कि ये बात इतनी बढ़ गई है। अब उनके पास दुनिया भर से ट्विटर, इमेल और फोन पर बधाई संदेश बराबर आ रहे हैं।

नवरूप मित्तर कहते हैं,“मेरे दोस्तों ने कहा कि 'तू पिंक पगड़ी गूगल करके देख, तेरा नाम आ जाएगा'। तब मैंने देखा कि ये खबर तो बहुत फैल चुकी है। यूरोप, एशिया, दक्षिण अमरीका औऱ अन्य जगहों से भी मुझे तरह तरह के संदेश आ रहे हैं। मुझे यकीन नहीं आ रहा कि अमरीकी राष्ट्रपति के साथ मुलाकात के बाद मुझे अलग पहचान मिल गई है.”navroop friends

उनके घर वालों और दोस्तों ने भी भारत से फोन कर उन्हे बधाई देनी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि नवरूप की फोटो तो समाचार पत्रों में पहले पन्ने पर छपी है। नवरूप बताते हैं कि अमृतसर में रहने वाली उनकी दादी तो फोन पर बात करते हुए रोने लगीं।

क्यों चुनी गुलाबी रंग की पगड़ी?

इस सवाल पर वह कहते हैं कि मौका ऐसा था कि उन्होंने सूट पहनकर जब गुलाबी रंग की टाई लगाई तो सोचा कि इसी रंग की पगड़ी भी होनी चाहिए। और उन्होंने अपनी मां को भी बता दिया था कि व्हाईट हाउस में तो बहुत सारे लोग होंगे तो राष्ट्रपति के भाषण के दौरान अगर उनकी ओर कैमरा घूमेगा तो गुलाबी रंग की पगड़ी से वह पहचान जाएंगी कि वह कहां बैठे हैं।

नवरूप मित्तर के माता पिता भारत के पंजाब से कनाडा चले गए थे। नवरूप मित्तर असल में कनाडा के एक छोटे से गांव सैसकतून में ही पैदा हुए थे। फिर वह न्यूयॉर्क चले गए, उसके बाद कैलीफ़ोर्निया में भी रहे। उन्होंने बॉस्टन विश्वविद्यालय से धर्म और बायो-मेडिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की।

हाल ही में उन्होंने खुद की एक कंपनी शुरू की है जिसका नाम है ग्रिफ़न, जो स्मार्टफोन का डाटा सुरक्षित रखने की तकनीक और तरीकों के बारे में फोन गाहकों की मदद करती है।

अमरीकी राष्ट्रपति की तो वह तारीफ़ करते नहीं थकते। वह कहते हैं कि बराक ओबामा प्रशासन ने आम लोगों से जो संबंध बनाने की कोशिश की है वह पहले नहीं की गई। वह इस बात से भी खुश हैं कि सरकारी नीतियों के लिए भी प्रशासन आम लोगों की राय लेता है और उनकी सुनता भी है।

वह इस बात से भी खुश हैं कि 2009 में ओबामा के व्हाईट हाउस में गुरू नानक के जन्मदिन पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। और अब उन्हें इंतज़ार है कि इस वर्ष बैसाखी के पर्व पर अगर व्हाईट हाउस उन्हें दावत देता है तो वह सहर्ष बैसाखी वहीं मनाएंगे।

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