स्लग: हाईरिस्क प्रोफिटेबल बिजनेस में कन्वर्ट हो चुके नक्सलवाद पर पुलिस का धावा

जनता की गाढ़ी कमाई भी पड़ सकती है खतरे में

.हाईलाइट्स

नक्सलियों- उग्रवादियों का फंड मैनेजमेंट है प्राइम टारगेट

इन्वेस्टर्स की जानकारियों का होगा वेरिफिकेशन, नाम-पता सब जांच के दायरे में

एनआईए और सीबीआई के राडार पर हैं 28 कंपनियां

पुलिस की सूचनाओं पर राज्यभर में चल रही सम्पत्ति जब्ती कार्रवाई

इंट्रो

हार्डकोर नक्सलियों का ग्रुप अब पुलिस का प्राइम टारगेट बन गया है। पुलिस की स्पेशल टीम नक्सलियों के फंड मैनेजमेंट और इन्वेस्टमेंट का डाटा खंगाल रही है। लेवी की अकूत कमाई का निवेश कहां हो रहा है और किस तरह से हो रहा है इसकी पूरी जानकारी हासिल की जा रही है। पुलिस की नजर सिटी से लेकर गांवों और कस्बों में काम कर रही चिटफंड कंपनियों पर है, जिनके सहारे नक्सली अपने कालेधन को तेजी से सफेद कर रहे हैं। इस जांच में जनता की गाढ़ी कमाई भी खतरे में है, क्योंकि अगर ऐसी कंपनियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पाये जाते हैं तो जनता के रुपए डूब भी सकते हैं।

abhishek.sinha@inext.co.in

RANCHI(31 March): स्टेट पुलिस के वरीय अधिकारी नक्सलियों के फंड मैनेजमेंट पर अटैक करने की पूरी रणनीति बना चुके हैं। पुलिस कंपनियों से उनके निवेशकों की पूरी सूची की छानबीन कर रही है। नाम-पता का वेरिफिकेशन शुरू कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए)ने 23 व 24 मार्च को निकास म्यूच्यूअल बेनिफिट एंड निधि लिमिटेड में छापा मारकर शीर्ष नक्सलियों के इन्वेस्टमेंट का खुलासा किया है, जिसके बाद से पुलिस रेस हो गई है। माना जा रहा है कि पुलिस का टास्क है कि इन्वेस्टर्स के नाम-पता का पूरा डिटेल सर्च कर संदिग्धों की पहचान करे। निवेशकों की आड़ में खूंखार नक्सलियों द्वारा लेवी की अकूत धनराशि को काला से सफेद करने की साजिश रची जा रही है।

कई कंपनियां हो चुकी हैं फरार

पिछले कुछ वषरें में कोलकाता, ओडि़शा सहित दूसरे राज्यों की कई चिटफंड कंपनियां झारखंड के लोगों से करोड़ों की ठगी कर चुकी हैं। ठगी करने के बाद कंपनियां अपने ऑफिस बंद कर भाग चुकी हैं। अपनी मेहनत की कमाई पाने की आस में कुछ निवेशक न्यायालय और थाने में प्राथमिकी दर्ज कर चुके हैं। वहीं, कइयों ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीनियर पुलिस अधिकारियों के पास लिखित शिकायत भी की है। लेकिन पुलिस को इस मामले में सफलता नहीं मिली है।

आईजी प्रोविजन कर रहे मानिटरिंग

मुख्यालय के आइजी प्रोविजन अरुण कुमार सिंह पूरे मामले की मानिटरिंग कर रहे हैं। चिटफंड कंपनियों की गतिविधियों को रोकने और कार्रवाई के लिए योजना तैयार कर सभी जिलों के एसपी समेत अन्य अधिकारियों को सौंपा जा रहा है।

वैध कंपनियों की भी होगी जांच

वैध लाइसेंसधारी वित्तीय संस्थानों को भी समुचित जांच के दायरे में रखा गया है। इनके निवेशकों पर विशेष तौर से पुलिस विभाग की नजर है। इनके अलावा अवैध रूप से पैसा जमा करनेवाली चिटफंड कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बॉक्स ग्रुप।

ये कंपनियां हैं ब्लैकलिस्टेड

कई फर्जी कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका है। इनमें मुख्य रूप से ग्रीन रे इंटर नेशनल लि., सन प्लांट एग्रो लि., एंजेल एग्रोटेक लि., आशादीप फाइनांस लि., शारदा हाउसिंग प्रा। लि., प्लेटिनम रियलकान लि., रोज वैली होटल एंड एंटरटेनमेंट लि., जीबीसी एंटरप्राइजेज लि., साइन इंडिया इंफ्रा प्रा। लि., ड्यूकवेल प्रा। लि., टावर इंफोटेक लि., इजी वे इंफ्रा स्ट्रक्चर, मातृ प्रोजेक्ट प्रा। लि., सन साइन ग्लोबल एग्रो लि., वेल्थ एग्रो इंडस्ट्रीज लि., सन प्लांट एग्रो लि., रेमेल इंस्ट्रीम लि., इरिस एनर्जी लि., होली एग्रो टीच लि., भारतीय कृषि समृद्धि लि., स्वास्तिका हॉटिकल्चर लि., वेलफेयर बांड स्टेट डाटा लि., रियल एग्री इंडस्ट्रीज एंड सर्विसेज लि, जेवीजी गोल्ड एंड फॉरेस्ट्री आदि शामिल हैं।

इनके खिलाफ सीबीआई जांच

सुराहा माइक्रो फाइनांस, सन प्लांट एग्रो, प्रयाग इन्फो टेक हाई राईज लिमिटेड, साईं प्रसाद प्रॉपर्टीज लिमिटेड, फेडरल एग्रो कामर्शियल लिमिटेड, गुलशन निर्माण, इंडिया लिमिटेड, तिरुलबाजी राइजिंग रीयल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, एल केमिस्ट इंफ्रा रियल्टी लिमिटेड, घनोलटी डेवलपर्स लिमिटेड, कोलकाता वियर इंडस्ट्री लिमिटेड, संकल्प ग्रुप ऑफ कंपनीज, वियर्ड इन्फ्रा स्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड, रूफर्स मार्केटिंग लिमिटेड, सनराईज ग्लोबल एग्रो लिमिटेड, रमल इंडस्ट्री लिमिटेड, एक्सेला इन्फ्रा स्ट्रक्चर एण्ड डेवलपमेंट लिमिटेड, एमपीए एग्रो एनिमल्स प्रोजेक्ट लिमिटेड, युगांतर रियलिटी लिमिटेड, गीतांजलि उद्योग लिमिटेड, एटीएम ग्रुप ऑफ कंपनीज, कायर विजन म्यूचुअल बेनीफिट लिमिटेड, मातृभूमि मैन्यूफैक्चरिंग एंड मार्केटिंग लिमिटेड, रोज वैली होटल्स एण्ड इंटरटेनमेंट लिमिटेड, वर्धमान एम्मार वेलफेयर सोसायटी, अपना परिवार एग्रो फार्मिंग डेवलपर्स लिमिटेड, वारिस ग्रुप एंड अर्शदीप फाइनांस लिमिटेड जादूगोड़ा में काम करने वाली कंपनी कमल सिंह एंड कंपनी।

बॉक्स

25,000 करोड़ के गोरखधंधे में नक्सली शामिल

झारखंड अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर जनहित याचिका के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि याचिका के माध्यम से हाइकोर्ट को बताया गया था कि ननबैंकिंग कंपनियां किस प्रकार चिटफंड स्कीम चलाकर लोगों की राशि लेकर चंपत हो जा रही हैं। इन्हें प्रशासन का भी सहयोग मिलता है। कोर्ट के समक्ष सभी दस्तावेज पेश किए गए थे। एल केमिस्ट नामक कंपनी ने अकेले 16 सौ करोड़ रुपए से अधिक जनता से वसूले हैं। जबकि सभी मामलों को मिला दिया जाए तो यह राशि 25 हजार करोड़ तक हो सकती है। इस कारोबार के तार विदेशों तक जुड़े हैं। इतनी बड़ी धनराशि में नक्सलियों के इन्वाल्वमेंट का तार खंगालने की जरूरत है।

वर्जन

ननबैंकिंग चिटफंड कंपनियों के खिलाफ पूरी जानकारी एकत्र की जा रही है। उनके निवेशकों के नाम-पता का वेरिफिकिशन किया जाएगा, ताकि निवेशित रुपए का पूरा लेखा-जोखा मिल सके।

-कुलदीप द्विवेदी, एसएसपी, रांची