RANCHI: माओवादी सेंट्रल कमेटी सदस्य व झारखंड में माओवादियों के मुखिया बने सुधाकरण के दो मुख्य सहयोगियों में एक प्रभु साहू को एनआइए ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। लेकिन, दूसरा पार्टनर पलामू का छोटू बाबू अबतक फरार है। एनआईए की टीम छोटू बाबू और उनके सहयोगी कमल कुमार की गिरफ्तारी के लिए संभावित स्थानों पर छापेमारी कर रही है।

सत्यनारायण रेड्डी ने किया था खुलासा

गौरतलब हो कि जब सुधाकरण के बारे में उसके व्यावसायिक पार्टनर सत्यानारायण रेड्डी ने खुलासा किया था कि डालटनगंज का छोटू बाबू और गुमला का प्रभु साहू सुधाकरण के झारखंड में सहयोगी हैं। दोनों पेशे से ठेकेदार हैं। सुधाकरण के साल 2015 में झारखंड में शिफ्ट होने के बाद से ये दोनों ही सुधाकरण तक सत्यनारायण रेड्डी को पहुंचाते थे। दोनों लेवी के तौर पर मोटी रकम भी पहुंचाते थे।

छोटू बाबू ने पलामू में सुधाकरण से मिलवाया था (बॉक्स)

तेलंगाना निवासी सुधाकरण का पार्टनर सत्यनारायण रेड्डी ने स्वीकार किया था कि दिसंबर 2016 में उसे सुधाकरण से मिलने झारखंड आना था। लेकिन रेलवे टिकट नहीं मिलने की वजह से वह हवाई जहाज से रांची आया। इसके बाद वहां से पलामू गया, जहां से छोटू बाबू ने अपने सहयोगी कमल के साथ उसे सुधाकरण के पास भेजा था।

झारखंड में काम नहीं करना चाहता था सुधाकरण (बॉक्स)

सेंट्रल कमेटी मेंबर सुधाकरण और बिहार स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य बनाकर माधवी को भाकपा माओवादी संगठन में झारखंड भेज दिया गया था। सत्यानारायण ने पूछताछ में खुलासा किया है कि सुधाकरण और माधवी झारखंड में माओवादी संगठन के कमजोर होने की वजह से काम नहीं करना चाहते। माधवी की तबीयत भी अब ठीक नहीं रहती। इसलिए दोनों ने सरेंडर का विचार किया था। सरेंडर के पहले दोनों संगठन के जरिए पैसे बनाना चाहते थे।

क्वोट

इस मामले में एनआइए की टीम ने पलामू में छापेमारी की थी। इसमें केवल पलामू पुलिस का सहयोग लिया गया था। आरोपियों की तलाश एनआइए और पलामू पुलिस भी कर रही है।

-इंद्रजीत महथा, एसपी, पलामू