अकादमी की प्रतिक्रिया से हैं संतुष्ट

इनटॉलरेंस के मुद्दे पर साहित्याकर उदयप्रकाश के साथ नयनतारा सहगल ने ही एक तरह से देश में अवॉर्ड वापसी कैंपेन की शुरुआत की थी। लेकिन अब पंडित जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा अब अवॉर्ड को वापस लेने के लिए तैयार हो गईं हैं। नयनतारा ने कहा कि उन्हें साहित्य अकादमी से एक चिठ्ठी मिली। चिठ्ठी में लिखा था कि अकादमी में पुरस्कार लौटाने संबंधित कोई नियम नहीं है। अकादमी दिया हुआ पुरस्कार अपने पास नहीं रख सकती। इसलिए अकादमी पुरस्कार वापस भेज रही है। इसके बाद ही नयनतारा पुरस्कार वापस लेने के लिए राजी हो गई। अवॉर्ड वापसी के दौरान उन्होंने एक लाख रुपये का चेक भी लौटा दिया था। उनका कहना है कि वह इस पेसे का इस्तेमाल समाज के लिए करेंगी। साहित्य अकादमी ने उन्हें चेक भी वापस कर दिया है।

अकादमी ने सभी 40 लेखकों को भेजी चिठ्ठी

राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज भी पुरस्कार वापस लेने के लिए राजी हो गए हैं। नंद भारद्वाज ने कहा कि वे इनटॉलरेंस के मसले पर साहित्य अकादमी की प्रतिक्रिया से संतुष्ट हैं। इसलिए उन्होंने भी अपना अवार्ड वापस ले लिया है। साहित्याकर अशोक बाजपेई अभी भी अपने पुराने रूख पर कायम हैं। अशोक वाजपेई ने कहा कि उन्हें भी अकादमी से चिठ्ठी मिली है। मुझे नहीं लगता कि अवॉर्ड वापस लेने के लिए कोई वाजिब कारण है। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि अवॉर्ड लौटाने वाले सभी 40 लोगों को चिठ्ठी भेजी गई है। उन्होंने कहा कि दूसरे लेखक भी अकादमी की चिठ्ठी पर जवाब जरूर देंगे।

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