-स्टूडेंट्स को एनसीईआरटी की नहीं मिल रही बुक्स

-बुक स्टॉल का चक्कर काट रहे स्टूडेंट्स व पेरेंट्स

VARANASI

स्कूल्स का नया सेशन स्टार्ट हो गया। लेकिन स्टूडेंट्स बिना एनसीईआरटी की किताब के ही स्कूल गए। कारण कि सभी स्ट्रीम में एनसीईआरटी की किताबें मार्केट से गायब हैं। बुक स्टॉल ओनर्स का कहना है कि ऐसी समस्या हर साल होती है। लेकिन इस बार तो एनसीईआरटी की किताबें आयी ही नहीं हैं। बुक लेट से मिलने के कारण सिलेबस पूरा कराने में मुश्किल होती है। मजबूरी में टीचर्स फोटोकॉपी की किताबों से बच्चों को पढ़ाते हैं। सबसे अधिक समस्या साइंस की बुक्स में है। स्कूल खुलने के बाद भी 6वीं से लेकर 12वीं तक की किताबें बुक स्टॉल पर उपलब्ध नहीं हैं। स्टूडेंट्स को दुकानों से वापस लौटना पड़ रहा है।

पुरानी किताबें खरीदने को मजबूर

सिटी के कई बुक स्टोर्स पर एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल एंड रिसर्च ट्रेनिंग) की किताबें उपलब्ध नहीं हैं। इसके चलते स्टूडेंट्स पुरानी किताबें खरीदने को मजबूर हैं। इस साल भी एनसीईआरटी की किताबें न मिलने की वजह से स्टूडेंट्स फोटोकॉपी व पुराने एडिशन से पढ़ाई करेंगे। नाम न लिखने की शर्त पर एनसीईआरटी की किताबों के होलसेलर ने बताया कि पिछले पांच सालों से एनसीईआरटी के कोर्स में कोई चेंज नहीं हुआ है। इसकी वजह से पुरानी किताबें दुकानों पर बिक रही हैं। वहीं, स्कूल अब अपने हिसाब से किताबें छपवा रहे हैं। जिसकी वजह से मार्केट में एनसीईआरटी की किताबें आनी बंद हो गई हैं। फिलहाल कई क्लास की एनसीईआरटी की कुछ किताबे ऑन डिमांड भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।

इन क्लास की किताबों का है टोटा

विभिन्न एरिया में स्थित बुक स्टॉल पर 6वीं, 7वीं, 8वीं, 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं क्लास की एनसीईआरटी की नई किताबें उपलब्ध नहीं हैं। इनमें 6वीं और 7वीं की ज्योग्राफी, 8वीं की मैथ्स, साइंस, 11वीं की इकनॉमिक्स, 12वीं की बिजनेस स्टडीज और बायोलॉजी की नई किताबें उपलब्ध नहीं हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ते हैं। एनसीईआरटी की किताबें पढ़ने का मुख्य कारण है कि, बोर्ड एग्जाम हो या प्रतियोगिता परीक्षाएं सभी के प्रश्न एनसीईआरटी की किताबों से ही तैयार होते हैं। इसलिए एनसीईआरटी की किताबों की स्टूडेंट्स में काफी डिमांड रहती है। सिगरा स्थित एक बुक स्टोर चलाने वाले ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि वे एनसीईआरटी की नई किताबें बेचने में इंट्रेस्ट नहीं लेते हैं। क्योंकि इसमें उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिल पाता है। वहीं, एनसीईआरटी की पुरानी किताबें बेचने पर उन्हें 20 से 30 परसेंट तक का फायदा होता है। इसलिए वे पुरानी किताब ही बेचते हैं।

कमीशन का है खेल

एक और बुक स्टोर चलाने वाले का कहना है कि वे प्राइवेट पब्लिशर्स की किताब बेचते हैं। इसमें उन्हें एमआरपी के हिसाब से 30 से 60 परसेंट तक का फायदा होता है। इसके अलावा प्राइवेट पब्लिशर्स की किताब बेचते समय वे कस्टमर को पांच से 15 परसेंट तक का डिस्काउंट भी देते हैं। जबकि एनसीईआरटी की किताबों पर कोई डिस्काउंट नहीं दिया जाता है।