फेल होने पर एक और मौका

राज्यसभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में शनिवार को केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि संसद में बजट सत्र के आगामी हिस्से में इससे जुड़े एक विधेयक पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ज्ञान संबंधी कौशल के विकास के चरण में छात्रों को पूर्ण स्वायत्तता देने की जरूरत है। स्कूली शिक्षा में सुधार के बारे में मंत्री ने कहा कि परीक्षा और अगली कक्षा में नहीं भेजे जाने (यानी फेल करने) की प्रक्रिया लागू होगी। बिना परीक्षा, कोई प्रतिस्पर्धा और लक्ष्य नहीं रहता। बेहतर नतीजों के लिए प्रतिस्पर्धा जैसा कुछ जरूर होना चाहिए। अगर कोई छात्र मार्च में फेल होता है तो उसे मई में एक और मौका दिया जाएगा। अगर विद्यार्थी दोनों परीक्षाओं में विफल होता है तो उसे उसी कक्षा में और एक साल रहना होगा।

बस 5 लाख शिक्षक हुए प्रशिक्षित

जावड़ेकर ने शिक्षकों की खराब स्तर पर भी चिंता जताई है और कहा कि इस वजह से बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का मूल काम छात्रों की क्षमताओं और कमजोरियों का आकलन कर उन्हें उसी के हिसाब से आगे के लिए तैयार करना है। उन्होंने बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2015 तक 20 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना था लेकिन सिर्फ पांच लाख को ही प्रशिक्षित किया जा सका। 14 लाख शिक्षक कौशल उन्नयन कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। इससे बेहतर नतीजे आने चाहिए।

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मार्च में नई शिक्षा नीति पर रिपोर्ट  

नई शिक्षा नीति के बारे में जावड़ेकर ने कहा कि इस संबंध में एक रिपोर्ट अगले माह मार्च के अंत तक पेश की जाएगी और जरूरी मंजूरी मिलने के बाद इसे जल्द सार्वजनिक किया जाएगा।

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