- सरकार की ओर से किए गए इंतजाम नाकाफी

- पुराने कपड़े समेत इको फ्रेंडली बैग बनाने पर जोर

- प्लास्टिक की पालीथिन से होंगे महंगे

आगरा। पॉलीथिन से यारी खत्म की बारी आ चुकी है। पर लोगों की जरूरत बन चुकी प्रतिबंधित पॉलीथिन के विकल्प खोजने होंगे, तभी इसे पूरी तरह से बंद किया जा सकेगा। इस दिशा में सरकार की ओर से कुछ कदम भी उठाए जा रहे हैं, जो पर्याप्त नहीं हैं। प्लास्टिक की पॉलीथिन की लागत के बराबर और इक्रो फ्रेंडली बैगों का प्रचलन करना बड़ी चुनौती है।

कानून नहीं विकल्प हो तैयार

पॉलीथीन और प्लास्टिक पर प्रतिबंध पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पर्यावरण जानकारों से विकल्प को लेकर सुझाव मांगे। लोगों का कहना है कि कानून नहीं बल्कि विकल्प से ही पॉलीथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा सकता है। पुराने कपड़े, इक्रो फ्रेंडली और दूसरे राज्यों में बैग के प्रचलन का इस्तेमाल किया जाए। वहीं पॉलीथीन बनाने वाली फैक्ट्रियों को बंद करने की बात कही।

तभी हो सकेगी प्रतिबंधित

पर्यावरण जानकार शिवम द्विवेदी ने बताया कि पॉलीथिन रोजमर्रा जिंदगी से जुड़ चुकी है। इसे रोकने के लिए पहले बेहतर और सस्ते विकल्प खोजकर प्रचलन में लाना होगा। तभी प्लास्टिक की पॉलीथिन पर पूरी तरह से रोक लग सकती है। सिर्फ कानून बनाने से हल नहीं निकलेगा। पर्यावरण प्रेमी निशांत चौधरी का कहना है कि पुराने कपड़े के सस्ते बैग बनने चाहिए, जिनकी कीमत पॉलीथीन के बराबर हो। सरकार और प्रशासन को ठोस कदम उठाते हुए पॉलीथीन बनाने वाली फैक्ट्रियों को तत्कालन बंद करना चाहिए। इससे नए उत्पादन पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके। फिर पुराने स्टॉक को डिस्पोज किया जाए।

पर्यावरण को बचाना होगा

पर्यावरणविद् शम्स परवेज का कहना है कि पॉलीथिन पर रोक जरूरी है। इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। लोगों के स्वास्थ्य में भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसका सिस्टम पर भी असर पड़ रहा है। जमीन के भीतर पॉलीथिन दबी रहने से पानी प्रदूषित होता है। नालियां चोक होती हैं। पॉलीथिन की जगह कपड़े या जूट का विकल्प तैयार होना चाहिए। इको फ्रेंडली बैग का इस्तेमाल हो। तभी पॉलीथीन पर अंकुश लगाया जा सकता है। पर्यावरण के जानकार राधा मोहन ने कहा कि पॉलीथीन का उत्पादन करने वाली फैक्ट्रियों में उत्पादन पूरी तरह से बंद होना चाहिए। इसके बाद ही पॉलीथिन पर रोक लगाई जा सकती है।

इस तरह हो रहा प्रचार

पॉलीथिन का प्रयोग बंद करने के लिए जनजागरुकता अभियान के साथ बैग भी वितरित किए जा रहे हैं। जिला प्रशासन, निगम प्रशासन, राजनीतिक दलों और समाजिक संगठन पॉलीथिन प्रयोग बंद करने के लिए कपड़े व अन्य बैग बांट रहे हैं। लेकिन ये प्रयास पर्याप्त नहीं है। सरकार को बाजार में पॉलीथिन की तर्ज पर ही इको फ्रेंडली बैग उतारने होंगे, तभी प्लास्टिक पालीथिन पूरी तरह बंद होंगी।

ऐसे करते हैं बेअसर

पॉलीथिन के प्रयोग पर पाबंदी लग चुकी है। पॉलीथिन पैकेट में पैक खाद्य पदार्थ कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण बनते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे खाद्य पदाथरें को खाने से इंसान सबसे पहले ब्लड प्रेशर का मरीज बनता है। पॉलीथिन की थैलियां फेंकने के बाद भी हानि पहुंचाती है। नालियां चोक हो जाती हैं। जानवरों के पेट में पॉलीथिन जाने से उनकी मृत्यु हो जाती है। परंतु सवाल यह भी है कि पॉलीथिन का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद होने के बाद कागज का उपयोग धड़ल्ले से बढ़ेगा। इसके लिए ज्यादा पेड़ काटने होंगे। ऐसे में, यह ज्यादा जरूरी है कि पॉलिथीन के सही, उपयोगी विकल्प ढूंढ़ें जाएं।