इंडियन आर्मी ने दिया सम्मान
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ALLAHABAD: सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद की असिस्टेंट प्रोफेसर नीतू मिश्रा को इंडियन आर्मी ने लेफ्टिनेंट की उपाधि से नवाजा है। यह रैंक प्राप्त करने वाली नीतू मिश्रा इविवि की पहली महिला शिक्षिका हैं। इससे पहले किसी को भी इस तरह का सम्मान हासिल नहीं हो सका है। इंडियन आर्मी से मिले सम्मान के बाद नीतू मिश्रा ने बैंक रोड मजार चौराहा के समीप स्थित 6 यूपी ग‌र्ल्स बटालियन में बतौर एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर (एएनओ) के पद काम करना भी शुरू कर दिया है।

तीन चरण के इंटरव्यू के बाद ट्रेनिंग
इविवि के सेंटर ऑफ फूड टेक्नोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात नीतू मिश्रा करीब डेढ़ साल से एनसीसी की ग‌र्ल्स बटालियन में केयर टेकिंग ऑफिसर (सीटीओ) के पद पर काम कर रही थीं। उन्होंने बताया कि विवि के सहयोग से करीब दो साल पहले ग‌र्ल्स बटालियन की शुरूआत हुई थी। इसमें अंडर ग्रेजुएट कोर्सेस में एडमिशन पाने वाली छात्राओं को एनसीसी का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने बताया कि उन्हें तीन चरण के इंटरव्यू के बाद एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर की ट्रेनिंग के लिए भारतीय सेना की ओर से कॉल किया गया था।

24 घंटे में 16 घंटे की ट्रेनिंग रोजाना
नीतू मिश्रा ने बताया कि बीते 15 जनवरी से 14 अप्रैल के बीच उनकी ट्रेनिंग भारतीय सेना के ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी ग्वालियर में हुई। इसके बाद उन्हें यह रैंक हासिल हुई है। वुमन ऑफिसर्स के लिए ऑर्गनाइज इस ट्रेनिंग में देश के अलग अलग स्थानों से कुल 109 महिलाओं ने भाग लिया था। इसमें उन्हें बेहतर कैम्प प्लानिंग और कल्चरल एक्टिविटी के लिए एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिला है। उन्होंने बताया कि 90 दिन की उनकी ट्रेनिंग काफी टफ रही। कहा कि ट्रेनिंग का समय रोजाना सुबह 05 से रात 09 बजे तक था।

सेना व एनसीसी के योगदान पर जानकारी
लेफ्टिनेंट रैंक प्राप्त नीतू मिश्रा ने बताया कि उनकी पूरी ट्रेंिनंग फिजिकल एंड एकेडमिक परफॉर्मेस बेस्ड रही। इसमें उन्हें राइफल शूटिंग, मैप रीडिंग, प्वाइंट टू प्वाइंट मार्च, दुश्मनों से मुकाबला, पैराशूट जंपिंग आदि सीखने का मौका मिला। इसमें उन्हें आर्मी की हिस्ट्री और देश-सेवा में एनसीसी के योगदान के बारे में भी गहराई से जानकारी दी गई। बताया कि एनसीसी में छात्राओं को प्रशिक्षण के लिए अब उन्हें सेना की ओर से फाइव ईयर एक्शन प्लान भी दिया गया है। इसमें उन्हें छात्राओं को प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण योजना, वुमन एंपॉवरमेंट, ट्रैफिक रूल, डिजास्टर मैनेजमेंट सहित सोशल अवेयरनेस प्रोग्राम आदि के बारे में बताना और ट्रेंड करना है।

लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल होना मेरे लिए गौरव की बात है। वास्तव में 90 दिन की ट्रेनिंग में मुझे पता चला कि सेना का काम कितना गौरवपूर्ण है ? अब मुझे छात्राओं को देश और समाज की सेवा के लिए पूरी मेहनत से तैयार करना है।

-नीतू मिश्रा, लेफ्टिनेंट रैंक प्राप्त निवासी गोविन्दपुर