-नेपाह वायरस को लेकर रोजेदारों में भी खौफ, खजूर से कर रहे किनारा, बिक्री पर पड़ा असर

-चमगादड़ सहित छुट्टा जानवरों से फैल रहा खतरनाक वायरस, खजूर के पेड़ पर होता है चमगादड़ों का डेरा

चमगादड़ सहित छुट्टा जानवरों से फैल रहे नेपाह वायरस का खौफ बनारस में भी देखा जा रहा है। इसका असर रमजान माह में रोजेदारों पर भी पड़ रहा है। इसके ही चलते मार्केट में खजूर की बिक्री प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि खजूर से रोजा खोलने वाले रोजेदार अब खजूर से किनारा करने लगे हैं। कारण कि खजूर के पेड़ पर चमगादड़ का डेरा होता है। इससे रोजेदारों में इस बात का डर है कि कहीं नेपाह वायरस न फैल जाए।

फलों से भी बना रहे दूरी

रोजेदारों में फलों को लेकर भी भ्रम की स्थिति है। बाजार में बिकने वाले सेव, केला, आम से भी रोजेदार दूरी बना रहे हैं। सिर्फ तरबूज-खरबूज, खीरा और लीची का सेवन कर रहे हैं। रोजेदारों का मानना है कि फलों में भी निपाह वायरस का खतरा है। अधिक से अधिक रोजेदार घर में बनाई हुई चीजों का ही सेवन कर रहे हैं।

टैट्रा पैक के फ्रूट जूस से भी तौबा

अमूमन इफ्तार के समय फ्रूट जूस लेने वाले रोजेदारों ने ब्रांडेड टैट्रा पैक में बिकने वाले फ्रूट जूस से भी तौबा कर लिया है। बाहर से आने वाले पैक्ड जूस के बदले रोजेदार अब शर्बत, नींबू पानी का ज्यादा सेवन कर रहे हैं। कई फेमस ब्रांड के शर्बत ले रहे हैं।

इसलिए खाते हैं खजूर

30 दिनों तक चलने वाले रमजान में हर रोजेदार पूरे एक महीने का रोजा रखता है। सहरी के समय वह खजूर खाकर अपना रोजा खोलता है। खजूर को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन इसके साथ ही इससे कुछ इस्लामिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं।

इस बार खजूर की आवक कम

खजूर की आवक अरब कंट्री से अधिक होती है। मौजूदा समय में खजूर आ रहा है मगर, हर साल की तरह जितनी आवक होती थी उतनी नहीं देखी जा रही है। नई सड़क, दालमंडी में बड़े पैमाने पर खजूर की होने वाली बिक्री भी कुछ थमी है। शॉपकीपर सुल्तान बताते हैं कि बहुत से लोग खजूर खरीद रहे हैं। मगर, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो नेपाह वायरस को लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं।

खजूर से ही रोजा खोला जाता था मगर, नेपाह वायरस के चलते खजूर से दूरी बना ली गई है। क्योंकि चमगादड़ खजूर के पेड़ पर ही हर वक्त डेरा जमाए रहते हैं।

ऊरूज, लल्लापुरा

हमारे यहां तो खजूर से ही रोजा खोला जाता था, सहरी से लेकर इफ्तार तक में खजूर होता था। लेकिन इस बार इससे तौबा कर लिया गया है।

इंतेखाब खान, लल्लापुरा

पैक्ड फ्रूट जूस का सेवन भी नहीं किया जा रहा है। साथ ही केला, सेव और आम भी नहीं खाया जा रहा है। घर में बने शर्बत का अधिक यूज किया जा रहा है।

शाहिद अहमद, वरुणापार