>RANCHI: नेपाल में भूकंप की त्रासदी से मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए और नेपाल में फिर कभी ऐसी प्राकृतिक आपदा न आए। इसके लिए बुद्ध मंदिर में तिब्बती रीति रिवाज से लामाओं ने विशेष पूजा और प्रार्थना कराई। इसमें बड़ी संख्या में नेपाली समाज के लोग श्ामिल हुए।

कभी था बड़ा-सा घर, आज तंबू में बेटी-दामाद

बेटी-दामाद, भाई-बहन सभी लोग आज रोड पर एक तंबू में शरण लिए हुए हैं। जबकि कभी उनके पास बड़ा-सा घर था। ऐसी जिंदगी हम लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। आखिर ऐसा क्यों हुआ। यह कहते-कहते सीता लामा की आंखों में दर्द झलक पड़ा है। जैप वन में रहने वाली सीता के बेटी-दामाद समेत अन्य परिजन भी नेपाल में ही हैं। सीता को उनकी चिंता सता रही है। वह बताती हैं कि जब अपने लोगों को अपनी आखों के सामो देख लेंगे, तभी सुकून मिलेगा।

अपनों की सता रही चिंता

मेरे परिवार के लोग सालों से काठमांडू में रह रहे हैं। कभी-कभी मैं भी वहां जाती हूं, लेकिन इस बार के भूकंप ने तो सब कुछ बर्बाद कर दिया। जब भूकंप आया, उस दिन से अब तक सिर्फ कॉल कर अपने लोगों की जानकारी ले रही हूं। गनीमत है कि हमारे लोग सही सलामत हैं, लेकिन घर तो तबाह हो गया। वहां पर जिंदगी को पटरी पर आने में बहुत वक्त लगेगा। भगवान ने ऐसा क्यों किया। हमारे शांत नेपाल में ऐसी तबाही क्यों आई। अब सब कुछ ठीक हो जाए, यही भगवान से प्रार्थना है। यह कहना है रीना तमांग का। जो जैप वन में रहती हैं और उनके परिजन काठमांडू रहते हैं।

भैया और भाभी रहते है वहां

मेरे भैया और भाभी नेपाल में ही रहते हैं। भूकंप से उनका घर भी प्रभावित हुआ है। मैं लगातार उन लोगों के टच में हूं। उनकी सलामती की चिंता हमेशा सता रही है। क्योंकि नेपाल में भूकंप अभी भी आ रहा है। इस कारण डर बना हुआ है। यह कहना है नीना तमांग का। वह कहती हैं कि जल्द से जल्द वो अपने लोगों को देखना चाहती हैं। कुछ ऐसा ही दर्द माधुरी लामा और परमिता लामा का भी है, जिनके परिजन नेपाल की राजधानी काठमांड में हैं। सभी का घर तबाह हो चुका है।

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