एकजुट रहने की जरूरत

आज इस विशेष मौके पर नेपाल में प्रमुख दलों के नेताओं ने लोगों से रंगीन रोशनी कर यह अवसर मनाने को कहा है। नेपाल में 66 साल के लोकतांत्रिक संघर्ष के बाद लोगों द्वारा लिखा गया संविधान लागू होने जा रहा है। हालांकि, आंदोलनकारी मधेशी पार्टियों ने विरोधस्वरूप दक्षिणी मैदानी इलाकों में अंधेरा करने का आह्वान किया है। उनका दावा है कि संविधान में उनकी मांगों को शामिल नहीं किया गया है। इस बीच विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा कि भारत नेपाल में संविधान बनाने की प्रक्रिया का हमेशा से समर्थन करता रहा है। उनका कहना है कि वह चाहते हैं कि संविधान पूरा होने का मौका खुशी और संतोष का हो न कि आंदोलन और हिंसा का। दो दिवसीय नेपाल यात्रा पूरी करने के बाद उन्होंने यह टिप्पणी नेपाल में रविवार को लागू होने जा रहे संविधान और तराई क्षेत्र में इसके विरोध के मद्देनजर की है। उनका यह भी कहना है कि इस समय पूरे देश को एकजुट रहने की जरूरत है।

विशेष दूत के रूप में  दौरा

सबसे खास बात तो यह है कि जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में यह दौरा किया। उन्होंने शनिवार को नेपाल के राष्ट्रपति यादव, प्रधानमंत्री सुशील कोइराला, नए प्रधानमंत्री के रूप में देखे जा रहे सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और यूसीपीएन-माओवादी प्रमुख प्रचंड से मुलाकात की।उन्होंने आंदोलनकारी मधेशी पार्टियों के नेताओं महंत ठाकुर, उपेंद्र यादव और विजय गछादर से भी मुलाकात की। बताया जाता है कि जयशंकर ने इन नेताओं को तराई क्षेत्र में हिंसा पर भारत की चिंताओं से अवगत कराया।

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