सफेदपोश भी शामिल
ह्यूमन ट्रैफिकिंग के धंधे में कई सफेदपोश भी शामिल है। इस जघन्य अपराध पर लगाम के लिए शासन स्तर से लेकर डिस्ट्रिक्ट स्तर पर कई विंग एक्टिव हैं लेकिन नतीजा सिफर है। गोरखपुर पुलिस की ह्यïूमन ट्रैफिकिंग सेल के अलावा कई एनजीओ और नेपाल की एक इंटरनेशनल संस्था माइती नेपाल भी इस दिशा में काम कर रही है।

एजेंट्स का डेस्टिनेशन गल्फ कंट्री
पिछले कई सालों से नेपाल से नाबालिग लड़के लड़कियों को गल्फ कंट्री भेजा जा रहा है। इस गंंदे खेल में दलालों का फेवरेट डेस्टिनेशन गल्फ कंट्री है। उन्हें वहां पर नौकरी का झांसा देकर ले जाया जाता है। लेकिन वहां उन्हें न तो जॉब मिलती है और न ही सुरक्षा, मिलता है बस शारीरिक और मानसिक शोषण। मानव तस्करी के खिलाफ काम कर रही नेपाल की संस्था माइती नेपाल भी इसकी पुष्टि करती है। मानव तस्करों की गिरफ्त में आई कई नाबालिग लड़कियों को माइती ने नेपाली एंबेसी के जरिए मुक्त कराकर उन्हें वापस घर भेजा है। यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि ट्रैफिकिंग की शिकार लड़कियों की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती हैं।

गोरखपुर है वर्किंग प्लेस
नेपाल से लड़के और लड़कियों को गोरखपुर के रास्ते दिल्ली, मुंबई और उसके बाद गल्फ कंट्री भेजा जा रहा है। भारत-नेपाल की खुली सीमा होने के चलते गोरखपुर मानव तस्करों के लिए सेफ प्वाइंट बन गया है। नेपाल में एयरपोर्ट से विदेश भेजने के दौरान पकड़े जाने के डर से वे ये सारा काम खुली सीमा के साए में करते हैं।

केस 1
शादी है सबसे आसान जाल
रूरल एरिया में गरीब लड़कियों को शादी के सब्जबाग दिखाकर उन्हें बड़े शहरों में बेच दिया जाता है। लड़कियों के मां बाप भी गरीबी के चलते ऐसे कदम उठा लेते है और बिना पूछताछ अपनी बच्चियों को मानव तस्करों के हवाले कर देते हैं। कुछ दिन पहले भी झगहां में तीन महिलाओं ने एक गरीब लड़की को शादी का झांसा देकर उसे महाराष्ट्र में बेचने की कोशिश की थी। लेकिन समय रहते पुलिस को सूचना मिली और पुलिस लड़की को बरामद कर लिया। हालांकि गैैंग भाग निकला था।

केस 2
छिपकर बचाई जान
कुशीनगर हाटा निवासी सेमरी महेशपुर निवासी जोखन प्रसाद (काल्पनिक नाम) की बेटी अनीता (16) (काल्पनिक नाम) को पिपरा उर्फ  तितला गांव के सुबोध ने शादी का झांसा देकर 9 फरवरी को घर से भगाया था। सुबोध ने दस दिन तक अनीता को अपनी बहन के घर में रखा था। 20 फरवरी को उसे मुंबई में बेचने का प्लान था। इसकी भनक अनीता को लग गई और वह भाग निकली। मामले की जानकारी पर ह्यïयूमन ट्रैफिकिंग सेल प्रभारी शालिनी सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंची। कई घंटे की मशक्कत के बाद फोर्स ने अनीता को तलाश कर निकाल लिया।

केस 3
कोयम्बटूर में पकड़ी गई थी लड़कियां
सितम्बर 2011 में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ था। नेपाल से नाबालिग लड़कियों को जॉब का झांसा देकर दलाल ने 31 से ज्यादा लड़कियों को कोयम्बटूर भेजा था। जहां उन्हें घरों में काम काज के लिए लगा दिया गया था। कोयम्बटूर प्रशासन को सूचना मिलने के बाद पुलिस के छापे में उन्हें बरामद किया गया था। वहां के डीएम ने गोरखपुर डीएम से संपर्क कर उन्हें वापस भेजा था। डीएम गोरखपुर ने चाइल्ड लाइन संस्था के जरिए लड़कियों को उनके घर भिजवाया था।

फेकपेपर से तैयार पासपोर्ट
लड़कियों को गल्फ कंट्री में भेजने के लिए पासपोर्ट फर्जी पेपर के जरिए बनवाया जाता है। इसके लिए गोरखपुर को भी सेंटर बनाया जाता है। पूर्व में ऐसे कई मामलों की शिकायत भी पुलिस के पास पहुंची थी। नेपाल की दो महिलाओं ने सिटी के दो एजेंट की शिकायत की थी और उनके खिलाफ कैंट थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई थी।

बीस साल में 12 हजार शिकार
नेपाल से पिछले बीस साल में 12 हजार से ज्यादा नाबालिग लड़के और लड़ती ह्यïूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हुए है। यह आंकड़े  माइती नेपाल के हवाले है। 1993 से संस्था ट्रैफिकिंग के रिकॉर्ड तैयार कर रही है। संस्था की प्रोग्र्राम अफसर जनित गुरुम ने बताया कि दलाल नेपाल के छोटे-छोटे गांव में जाकर काम दिलवाने का झांसा देकर नाबालिग लड़के और लड़कियों समेत बालिग लोगों को भी अपने जाल में फंसाते हैं।  

कड़े कानून का असर नहीं
ह्यूमन ट्रैफिकिंग के सबसे ज्यादा मामले नेपाल से जुड़े है। नेपाली सरकार ने इसके लिए कड़े कानून भी बनाए हैं, लेकिन एजेंट और दलालों का सिंडिकेट शायद व्यवस्था से ज्यादा मजबूत है, इसलिए कानून का कोई असर नहींहो रहा है। वे नौकरी दिलवाने के नाम पर गरीब और कम पढ़े लिखे को टारगेट करते हैं। ऐसे दलालों के चक्कर में सबसे ज्यादा पहाड़ी इलाकों के लोग फंसते हैं।

2011 -12 के रिकार्ड

-Number of trafficking cases registered- 555
- Total number of traffickers                  - 928
- Total number of arrested  traffickers   - 702
- Convicted  traffickers                         - 692


report by : mayank.srivastava@inext.co.in