नेस्ले ने अपने सायंटिस्ट की मदद से प्लान बी शुरू कर दिया है। ताकि वो भारत में हुए अपने बाजार के नुकसान की जल्द से जल्द भरपायी कर सकें। इसके तहत वे एक ऐसा स्नैक बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जो उनके प्रतिबंधित मैगी नूडल्स की जगह ले सके। लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट जैसे कुछ अन्य कॉन्टेंट के तय मात्रा से ज्यादा पाए जाने पर भारत में मैगी पर पाबंदी लगाई गई है।
इन विषयों की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि मैगी के बारे में इस बात को लेकर पूरी तरह अनिश्चितता बनी हुई है कि बाजार में इसकी वापसी कब होगी। ऐसे में नेस्ले स्नैक के अन्य विकल्पों को उतार कर भारतीय बाजार में अपनी जगह वापस पाने पर विचार कर रहा है। असल में नेस्ले किसी भी कीमत पर इंडियन मार्केट पर अपने वर्चस्व को छोड़ना नहीं चाहता है। इसलिए हो सकता है कि वो जल्दी ही रेडी-टू-ईट या रेडी-टू-कुक स्नैक के फॉर्मेट में कोई नया प्रोडेक्ट यहां लॉन्च कर सकता है। खबर तो ये भी है कि इसकी तैयारी शुरू हो गयी है। जल्दी ही ये स्नैन मार्केट में होगा बशर्ते इसे जरूरी मंजूरी मिल जाए। नेस्ले ने अपनी कंपनी की ग्लोबल लेवल पर मजबूत रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट टीम को काम पर लगा दिया है।
क्यों हुई मैगी की विदाई
नेस्ले को मैगी ब्रांड की एडवरटाइजिंग की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसके विज्ञापनों में इस बात का दावा किया गया कि ये मांसपेशियों, हड्डियों व बालों को मजबूत बनाने में मदद करती है, लेकिन ब्रिटिश एडवरटाइजिंग स्टैंकडर्ड्स अथॉरिटी ने बताया कि यह विज्ञापन यूरोपीय संघ के नए उपभोक्ता संरक्षण नियमों के अनुरूप नहीं है। इसके बाद इसके एडवरटाइजसर्स को इसके स्वास्थय के प्रति लाभदायक होने का सबूत देने को कहा गया।
जिनमें मैगी फेल हो गयी। पता चला कि भारत में मैगी 2 मिनट नूडल्स में हाईड्रोलिस्डइ ग्राउंडनट प्रोटीन होता है। इसमें फ्लेवर को बढ़ाने के लिए MSG यानी मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिलाया जाता है। कई तरह के भी पोषक तत्वोंड को पैक के ऊपर दिखाने के बाद उसपर कहीं नहीं लिखा होता 'NO ADDED MSG'। युनाईटेड स्टेलट्स FDA की ओर से इसपर कहा गया कि इन सब तरीकों से सिर्फ ग्राहकों को दिशाभ्रमित किया जा रहा है।
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