-अत्याधुनिक राडार और एवियोनिक्स से लैस पहला नभरत्‍‌न फ्लाइंग टेस्ट बेड डीओ एयरक्राफ्ट डिफेंस मिनिस्टर के साइंटिफिक एडवाइजर को एचएएल ने सौंपा

-एचएएल में हुए प्रोग्राम में चेयरमैन के अलावा डीआरडीओ, एयरफोर्स और नेवी के भी आफिसर्स रहे मौजूद

- 110 करोड़ के प्रोजेक्ट का काम तय समय से 6 महीने पहले पूरा किया

KANPUR : एचएएल में थर्सडे को पहली बार किसी प्रोजेक्ट का काम तय समय से 6 महीने पहले पूरा कर लिया गया। यह प्रोजेक्ट था 'नभरत्न' जिसे थर्सडे को आर्गनाइज किए गए प्रोग्राम के दौरान एचएएल के चेयरमैन ने डिफेंस मिनिस्टर के सांइटिफिक एडवाइजर को सौंपा। इस विमान के साथ एचएएल ने एवियानिक्स के क्षेत्र में लंबी उड़ान भरी है। डीआरडीओ और एचएएल की ओर से संयुक्त रूप से डेवलप किए गए इस 'नभरत्न' को अत्याधुनिक राडार से लैस किया है। यह विमान कोस्टल एरिया में निगरानी के काम में आएगा। इसमें लगे राडार और कई खूफिया सेंसर दुश्मन की रत्ती भर की हरकत का पता लगा लेंगे। एचएएल ने यह विमान रिकार्ड समय में बनाया है। थर्सडे को एचएएल के ट्रांसपोर्ट विमान विभाग में आयोजित हुए भव्य समारोह में डिफेंस मिनिस्टर के साइंटिफिक एडवाइजर डॉ। अविनाश चंदर और एचएएल के चेयरमैन डॉ। आरके त्यागी समेत एयर वाइस मार्शल ए नांबियार, एस सुंदरम समेत डीआरडीओ और नेवी के भी कई अधिकारी मौजूद थे। आरके त्यागी ने पहले 'नभरत्‍‌न' की प्रतीकात्मक चाभी अविनाश चंदर को सौंपी।

नभरत्न की असली ताकत है राडार

एचएएल में बनाए गए नभरत्न की सबसे बड़ी खासियत उसमें लगा राडार और एवियानिक्स सिस्टम है। इस फ्लाइंग टेस्ट बेड एयरक्रॉफ्ट में इंटीग्रेटेड सिंथेटिक अपर्चर राडार (सारर) एक्स बैंड और कू बैंड लगाया गया है। इस राडार में लगे हाई रेजूल्यूशन इमेजिंग सेंसर लांग रेंज में भी टारगेट की सटीक इमेज देने में सक्षम है। यह दिन-रात और हर तरह के मौसम में काम करते हुए मूविंग टारगेट को भी पहचान सकता है।

अभी अौर एडवांसमेंट करेगा डीआरडीओ

नभरत्न के राडार को डीआरडीओ और एडवांस बनाएगा। इसके लिए एलआरडीई और डीआरडीओ की तमाम लैब्स में काम भी चल रहा है। इस जहाज को नई नेवीगेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी से लैस किया जाएगा। साथ ही टीसीएएस और ईजीपीडब्लूएस जैसी सिक्योरिटी डिवाइसेज भी लगाई जाएंगी।

नेवी के लिए अलग अलग खासियतों के साथ अलग वैरिएंट

नेवी को दिए जाने वाले नभरत्‍‌न को 'सार' राडार के अलावा कई दूसरी तकनीकों से भी लैस किया जाएगा। इसके लिए एफटीबी में कुछ बदलाव भी किए जाएंगे। एलआरडीई की ओर से जल्दी ही इसके लिए काम शुरु कर दिया जाएगा। इन खासियतों से लैस होने के बाद मरीन एरिया में पेट्रोलिंग नेवी के लिए और आसान हो जाएगी।