59 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह भारतीय सेना के सबसे वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल हैं. वो हरियाणा के झज्जर जिले के बिशन गांव के रहने वाले हैं.

दलबीर सिंह रोजाना 10 किलोमीटर तक दौड़ते हैं और उन्हें घुड़सवारी का शौक है.

दलबीर सिंह 1974 में गोरखा राइफल्स में शामिल हुए थे. उन्हें जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में चरमपंथ विरोधी अभियान का लंबा अनुभव रहा है.

वो श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल के अभियान का भी हिस्सा रहे हैं.

महत्वपूर्ण योगदान

घुड़सवारी के शौकीन हैं नवनियुक्त सेनाध्यक्षलेफ़्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह ने स्वेच्छा से श्रीलंका के शांति अभियान में जाने का प्रस्ताव दिया था.

उनके 40 वर्षों के सेवाकाल में श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल में उनका योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है.

श्रीलंका में 1987 में जब उनकी यूनिट को तैनात किया गया था तो इस यूनिट को कमांडिंग अफ़सर समेत 20 जवानों की क्षति हुई थी.

उस समय देहरादून के सैन्य अकादमी में प्रशिक्षक के रूप में तैनात दलबीर सिंह ने स्वेच्छा से श्रीलंका जाने का प्रस्ताव दिया और 24 घंटे के अंदर वो अपनी यूनिट में पहुंच गए थे.

गत जनवरी में लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह को वाइस चीफ़ ऑफ़ आर्मी के पद पर पदोन्नत किया गया था.

मई 2012 में तत्कालीन सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए अपने कार्यकाल के ख़त्म होने के कुछ दिन पहले ही दलबीर सिंह की प्रोन्नति पर प्रतिबंध लगा दिया था. उनपर अपनी 'जिम्मेदारियां न पूरा करने' का आरोप था.

हालांकि जनरल बिक्रम सिंह ने सेनाध्यक्ष बनने के एक सप्ताह के भीतर ही उन पर लगे प्रतिबंध को निरस्त कर दिया था.

International News inextlive from World News Desk