संशोधित विधेयक के अनुसार पत्नी 'वैवाहिक संबंध पूरी तरह से टूटने' के आधार पर दायर किए गए तलाक के दावे को चुनौती दे सकती है लेकिन पति के पास ये अधिकार नहीं होगा। 'वैवाहिक संबंध पूरी तरह से टूटने' को तलाक लेने का नया आधार बनाया गया है।

हालांकि कैबिनेट ने सहमति से तलाक लेने में दी जाने वाली समझौता अवधि को खत्म करने वाला प्रावधान रद्द कर दिया है। इस मुद्दे को अदालत पर छोड़ दिया गया है। वर्तमान कानून में ये अवधि छह से 18 महीने की होती है।

विवाह कानून (संशोधन) विधेयक 2010 पत्नी को पति की जायदाद में हिस्से का भी हक देता है। ये हिस्सा कितना होगा, इसे अदालत तय करेगी।

पत्नी को पति की जायदाद में हिस्सा देने के अलावा विधेयक में तलाक लेने की स्थिति में गोद लिए बच्चों को भी अन्य बच्चों के समान संपत्ति में अधिकार देना भी शामिल है।

ये विधेयक दो साल पहले अगस्त में राज्य सभा में पेश किया गया था। उसके बाद इसे संसद की स्थाई समिति के पास भेजा गया था। इस कानून में मौजूदा संशोधन जयंती नटराजन की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति के सुझावों के आधार पर किए गए हैं।

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