-सूचना देने के एक घंटे बाद भी नहीं पहुंची 102 एंबुलेंस

BIHARSHARIFF/PATNA: सरकार हेल्थ सेवा में बेहतर व्यवस्था को लेकर भले दावे करे लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं उसकी पोल खोल देती है। रविवार को लखीसराय के शहीद द्वार के पास भी कुछ ऐसा ही हुआ। असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद सड़क पर ही एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। यह घटना 102 एंबुलेंस कर्मियों के संवेदनहीन रवैए के कारण हुई। घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि जन्म लेने के कुछ ही मिनट बाद सड़क पर ही नवजात ने दम तोड़ दिया।

ट्रेन से उतरी थी महिला

किशनपुर मनकट्ठा निवासी ललन साव की पत्नी रीना देवी को रविवार की सुबह प्रसव के लिए सदर अस्पताल ले जाया जा रहा था। ट्रेन से उसे लखीसराय स्टेशन पर उतारा गया। यहां से शहीद द्वार तक पहुंचते ही रीना प्रसव पीड़ा से छटपटाने लगी। स्थानीय लोगों द्वारा 102 एंबुलेंस को बार-बार फोन किया गया। परंतु एक घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। इस बीच रीना को असह्य पीड़ा में देखते हुए उसके साथ की महिलाओं ने शहीद द्वार के पास सड़क पर ही कपड़े का घेरा बनाकर प्रसव कराया। रीना देवी ने पुत्र को जन्म दिया। लेकिन इलाज के अभाव में नवजात ने कुछ देर बाद ही दम तोड़ दिया।

किसी तरह बची पीडि़ता की जान

इधर अत्यधिक रक्तस्त्राव होने के कारण प्रसव पीडि़ता की भी हालत खराब हो गई। स्थानीय लोगों के सहयोग से प्रसूता को ऑटो से सदर अस्पताल भेजा गया। पर अस्पताल में भी इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं थी। डॉक्टरों ने कुछ दवाइयां बाहर से लाने को कहा। गरीबी के कारण प्रसूता के परिजन दुकान से दवा लाने में असमर्थ थे। अंत में ड्यूटी पर तैनात ए ग्रेड नर्स ने मानवता दिखाते हुए अपने पास से पैसे देकर दुकान से दवा मंगवाई और इलाज किया।

मनमानी करते हैं कर्मी

एंबुलेंस कर्मियों की संवेदनहीनता का सदर अस्पताल में प्रसव कराने के बाद विगत 20 दिसंबर को घर जाने के लिए अपने नवजात को लेकर प्रसूता 102 एंबुलेंस में सवार हुई। एंबुलेंस कर्मियों ने घर पहुंचाने के एवज में 400 रुपए की मांग की थी। राशि नहीं देने पर एंबुलेंस कर्मियों ने जच्चा-बच्चा को एंबुलेंस से उतार दिया। इसके बाद सिविल सर्जन से शिकायत की गई थी।

यह घटना दुखद है। मामले की जांच कराई जाएगी और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

-शोभेन्द्र कुमार चौधरी, डीएम, लखीसराय