- मेडिकल कॉलेज के एलएलआर हॉस्पिटल में बनेगी नई यूनिट, वार्ड-50 के पास जगह चिन्हित

-केंद्र सरकार के नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट ऑन बर्न इंजरी के तहत होगा निर्माण

-बर्न केसेस में पेशेंट्स को मिलेगा बेहतर और अत्याधुनिक इलाज, आईसीयू, ओटी की भी सुविधा

KANPUR: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर हॉस्पिटल में आने वाले बर्न केसेज को अब पहले से बेहतर इलाज मिल सकेगा। क्योंकि केंद्र सरकार की योजना के तहत यहां बनने वाली बर्न व प्लास्टिक सर्जरी यूनिट की क्षमता अब बढ़ गई है। प्रोजेक्ट को रिवाइज करने के बाद नई यूनिट की लागत बढ़कर आठ करोड़ हो गई है। साथ ही इसमें आईसीयू, ओटी की सुविधा भी होगी। नई यूनिट के लिए हॉस्पिटल प्रशासन ने जगह चिन्हित कर ली है। कॉलेज प्रिंसिपल के मुताबिक नई यूनिट के निर्माण के लिए फंड जल्द रिलीज होगा। प्रोजेक्ट रिवाइज होने से भी फंडिंग में प्रॉब्लम नहीं आएगी।

सीएंडडीएस ने तैयार किया प्रोजेक्ट

नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट ऑन बर्न इंजरी के तहत बनने वाली इस यूनिट में पहले 12 बेड का ही प्रावधान था। प्रोजेक्ट की लागत भी 3 करोड़ के करीब थी, लेकिन बर्न पेशेंट्स के बढ़ते बोझ को देखते हुए प्रोजेक्ट को रिवाइज किया गया। जल निगम की कंस्ट्रक्शन विंग सीएंडडीएस ने बर्न यूनिट के लिए दोबारा प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की, जिसमें यूनिट की क्षमता को बढ़ा कर 26 बेड कर दिया गया।

बॉक्स

पुरानी यूनिट खस्ताहाल

अभी एलएलआर हॉस्पिटल में इमरजेंसी के पास बनी पुरानी बर्न यूनिट की हालत खस्ता है। इस यूनिट में इंफेक्शन का स्तर काफी ज्यादा है। 12 बेड की क्षमता वाली इस यूनिट में भर्ती होने वाले मरीजों के लामा होने की दर भी सबसे ज्यादा है। इसके अलावा भर्ती होने वाले मरीजों का सर्वाइवल रेट भी बेहद कम है।

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फाइल फैक्ट

- 12 बेड की है मौजूदा बर्न यूनिट

- 26 बेड होंगे नई बर्न यूनिट में

- 6 बेड की क्रिटिकल केयर यूनिट

-8 करोड़ है प्रोजेक्ट की रिवाइज कॉस्ट

-3 करोड़ रुपए थी पहले प्रोजेक्ट कॉस्ट

- 50 नंबर वार्ड के पास बनेगा दो मंजिला भवन

- - सर्जरी के लिए मॉड्यूलर ओटी का निर्माण

- जनरल मरीजों के लिए भी क्यूबिकल वार्ड की सुविधा

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वर्जन

नई बर्न व प्लास्टिक सर्जरी यूनिट के निर्माण को लेकर प्रोजेक्ट रिपोर्ट केंद्र सरकार को भिजवाई है। जिस पर जल्द फंड जारी होने की उम्मीद है। इससे एलएलआर हॉस्पिटल में आने वाले बर्न मरीजों को काफी फायदा होगा।

-डॉ। आरती दवे लालचंदानी, प्रिंसिपल जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज