मकसद है न्यू जॉब सिचुएश्न को मीट करना
इस बारे में एनआईटी पटना के सीनियर प्रोफेसर और प्लानिंग को-ऑर्डिनेटर जीके चौधरी ने बताया कि 2017 में एनआईटी बिहटा स्थित न्यू कैंपस में स्थायी रूप से शिफ्ट कर जाएगा। सभी इंटर डिसिप्लनरी कोर्स उसी समय से लागू होंगे और साथ ही स्कूल सिस्टम भी लागू हो जाएगा। इंटरडिसिप्लनरी सब्जेक्ट लाने का मकसद न्यू जॉब सिचुएश्न को मीट करना और स्टूडेंट्स को टेक्निकली बेटरमेंट करना है। स्कूल सिस्टम लाने के कांसेप्ट में ये सभी कोर्सेज काफी फिट भी हैं। स्टूडेंट्स को उनके डोमेन एरिया के सब्जेक्ट के ब्रांचेज का भी नॉलेज बढ़ाना जरूरी है। फॉर एग्जाम्पल सिविल इंजीनियरिंग एनवायरमेंट के बारे में भी नॉलेज रखे, ताकि बिल्डिंग इको-फ्रेंडली बनाने में आसानी हो।
1. स्कूल ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्प्यूटर साइंस

बीटेक  कोर्सेज : इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर साइंस, आईटी, इंस्ट्रूमेंटेशन एंड कंट्रोल।

2. स्कूल ऑफ मैकेनिकल साइंस

बीटेक  कोर्सेज: मेकेनिकल प्रोटक्शन, ऑटोमोबाइल, अप्लाइड मेकेनिक्स

3. स्कूल ऑफ सिविल इंजीनियरिंग

बीटेक  कोर्सेज: सिविल, एनवायरमेंट, ट्रांसर्पोटेशन

4. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग

बीटेक  कोर्सेज: आर्किटेक्चर, अर्बन प्लानिंग

5.स्कूल ऑफ केमिकल साइंस

बीटेक  कोर्सेज: केमिकल, प्लास्टिक

6. स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज

 कोर्सेज: फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथमेटिक्स, ह्यूमैनिटीज

7.स्कूल ऑफ मैनेजमेंट

कोर्सेज: मार्केटिंग, एचआर, फाइनेंस

 
School system

स्कूल सिस्टम एक वेस्टर्न कान्सेप्ट है, जिसका वर्डली मीनिंग है-थॉट। इसके ब्रांचेज इसी के एक पार्ट की तरह हैं। जैसे-स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज। इसमें फिजिक्स, केमिस्टी और मैथमेटिक्स और ह्यूमैनिटीज ब्रांचेज की तरह शामिल हैं। जेएनयू में स्कूल सिस्टम लागू है, जिसमें कोर्सेज को बेटर तरीके डेपलप करने, उसे प्रजेंटेबल बनाने में हेल्प मिलती है। इंडिया में यह न्यू कांसेप्ट है, पर विदेशों में यह काफी पहले से ही है। जैसे हॉवर्ड बिजनेस स्कूल। वास्तव में यह कॉलेज है, पर स्कूल वर्ड का यहां कॉमन टे्रंड है। न्यू जॉब सेनेरियो में भी स्टैंडर्ड कालेजों में स्कूल वर्ड कॉमन है। आम बोलचाल की भाषा में इसे डिपार्टमेंट कहा जाता है।

 
नई चुनौतियों में नई चाल

आज प्रोफेशनल लाइफ में इंटरडिसिप्लनरी एप्रोच वाले कैंडिडेट एक अच्छे जॉब परफॉमर माने जाते हैं। जीके चौधरी का कहना है कि नई चीजों को जानना एक पैशन ही नहीं, जरूरत भी है। यही वजह है कि खुद को उसी हिसाब से अपग्रेड करने की जरूरत है। जैसे ऑटोमोबाइल इंजीनियर अगर अप्लाइड मैकेनिक्स जानता है, तो वह इस सेक्टर में एक और अच्छी समझ रखेगा। यह उसकी जॉब सिचुएशन के हिसाब से उसे न केवल सुट करेगा, बल्कि उसकी जॉब नीड को बेटर तरीके से एडजस्टेबल भी बनाएगा। इसी बात को ध्यान में रखकर ही ऐसे कोर्स डिजाइन किया गया है।