- मठों के रिप्रजेंटेटिव के रूप में कर रहे कार्य

- वर्षो से निभा रहे धर्म के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी

- शैक्षिक योग्यता के पैमाने पर भी समृद्ध हैं ये हाईटेक संन्यासी

<- मठों के रिप्रजेंटेटिव के रूप में कर रहे कार्य

- वर्षो से निभा रहे धर्म के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी

- शैक्षिक योग्यता के पैमाने पर भी समृद्ध हैं ये हाईटेक संन्यासी

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: युवा शक्ति ही राष्ट्रशक्ति है। यही वजह है कि विकास व समृद्धि की बागडोर युवा हाथों में सौंपी जा रही है। धर्म का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। माघ मेला के पावन दिनों में संगम क्षेत्र में इसकी झलक सहज ही देखने को मिल रही है। युवा संन्यासी पूरी निष्ठा के साथ सनातन धर्म के प्रचार प्रसार लगे हुए हैं। आधुनिक सामाजिक परिवेश में खुद को ढाले हुए शैक्षिक रूप से समृद्ध ये युवा संन्यासी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं। धर्म प्रचार के लिए पारंपरिक के साथ ही हाईटेक संसाधनों का उपयोग करने के कारण ये यूथ को भी धर्म के प्रति आकर्षित कर रहे हैं। इन धर्म पुरुषों के बारे में आप भी जानिए।

- चरखी दादरी आश्रम हरियाणा के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रम्हाश्रम महाराज के उत्तराधिकारी ख्7 वर्षीय आचार्य नीरज स्वरूप पिछले क्भ् सालों से राम कथा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। महज क्क् वर्ष की आयु में वे अपने गुरु पीठाधीश्वर स्वामी ब्रम्हाश्रम महाराज के संपर्क में आये। वह सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ लोगों को राम कथा का ज्ञान बांटने में ही जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। उनका मानना है कि ये सभी बातें पूर्व नियोजित हैं। सब रामजी की कृपा से होता है। इसलिए इसी क्षेत्र में जन कल्याण की भावना से कार्य करना ही जीवन का मकसद है।

- सतुआ बाबा आश्रम के उत्तराधिकारी संतोष दास सतुआ बाबा इस समय महज ख्9 साल के हैं। ये क्क् वर्ष की आयु में घर से भाग कर संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए काशी पहुंचे थे। इन्होंने बताया कि वाराणसी पहुंचकर वे एक रिक्शा वाले की मदद से सतुआ बाबा आश्रम पहुंचे। जहां इन्होंने संस्कृत की शिक्षा दीक्षा ली और उसके बाद से धर्म प्रचार में लग गए। ख्009 में इनको सतुआ बाबा आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। ख्0क्0 में हरिद्वार में लगे कुंभ के दौरान इनको महामंडलेश्वर बनाया गया। विश्व में सबसे कम उम्र में महामंडलेश्वर बनने का सौभाग्य भी सिर्फ इनको ही प्राप्त है। ख्0क्ख् में ये काशी के श्री महंत बनाये गए। इन दिनों धर्म प्रचार के साथ ही आश्रम में चल रहे संस्कृत विद्यालय की देखरेख करने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए भी लगातार कार्य कर रहे हैं।

- श्री बाघम्बरी मठ के उत्तराधिकारी आचार्य आनंद गिरी महाराज बचपन से ही इस पीठ से जुडे़ हैं। दो विषयों में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद इन दिनों धर्म प्रचार के साथ ही बीएचयू से पीएचडी कर रहे हैं। फ्0 वर्षीय आनंद गिरी बताते हैं कि क्998 में उन्होंने संन्यास धारण किया। इसके बाद से ही धर्म के प्रचार प्रसार के कार्य में लगे हुए हैं। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के कारण उन्हें कनाडा सरकार ने सम्मानित किया है। भागवत कथा को जन जन तक पहुंचाने के साथ ही युवाओं से जुड़े कार्यो में भी अपना योगदान दे रहे हैं। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए आनंद गिरी ने गंगा सेना का गठन भी किया है। जिसमें करीब चार हजार युवा शामिल हैं। इसके साथ ही कई सामाजिक संस्थाओं व संगठनों के संरक्षक की भूमिका भी निभा रहे हैं।

- झूंसी में चल रहे क्रिया योग संस्थान के गुरू योगी सत्यम के पुत्र मुकुंद सत्यम भी क्रिया योग को बढ़ाने में इन दिनों पूर्ण तरीके से लगे हुए हैं। वे बताते हैं कि उनका तो जन्म ही क्रिया योग संस्थान में हुआ। ख्0 साल के मुकुंद सत्यम महज आठ साल की उम्र से क्रिया योग की क्लास लेने लगे हैं। हिन्दी व इंग्लिश दोनों भाषाओं में पारंगत मुकुंद सत्यम का कहना है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन इसको समर्पित कर दिया है। उनका सपना है कि वे क्रिया योग संस्थान को बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी खोलें।