कैबिनेट के अहम फैसले

- मेयर और नगर निगम बोर्ड बने पावरफुल, वित्तीय अधिकारों में इजाफा

-उत्तराखंड पुलिस के इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर के पदों पर पदोन्नति में राहत, सिर्फ पांच वर्ष की सीआर देखी जाएगी

-आ‌र्म्ड फोर्स को भी मिलेगा लाभ।

-वेतन निर्धारण विसंगति दूर, सीधी भर्ती और पदोन्नति के 4600 ग्रेड पे का फर्क समाप्त

-लोक सेवा आयोग से संबंधित व्यवस्थाधिकारी एवं व्यवस्थापक पदों की सेवा नियमावली में संशोधन पर मुहर

-गन्ने की अगेती प्रजाति के लिए 327 रुपये व सामान्य प्रजाति के लिए 317 रुपये प्रति क्विंटल रेट तय किए।

-उत्तराखंड भवन निर्माण एवं विकास उपविधि/ विनियम 2011 में संशोधन को मंजूरी

देहरादून, वर्ष 2018 के आखिरी दिन राज्य कैबिनेट की मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए। राज्य के नगर निगमों पर सरकार ने सौगात देने पर मुहर लगाई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने नगर निगमों के मेयर, मुख्य नगर आयुक्तों के वित्तीय अधिकारों में बड़ा इजाफा करते हुए सभी निगम बोर्डो को असीमित वित्तीय अधिकार दिए जाने की मंजूरी दी है। लेकिन राजधानी देहरादून के नगर निगम को अतिरिक्त अधिकार दिए हैं। दून के मेयर के वित्तीय अधिकार बढ़ाते एक लाख से बढ़ाकर 12 लाख और नगर आयुक्त के वित्तीय अधिकार को भी 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 10 लाख किए जाने पर हरी झंडी दिखाई है। हालांकि बाकी सात नगर निगमों के मेयर के वित्तीय अधिकार 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपए किए गए हैं।

हाउसिंग व मल्टीप्लेक्स मानकों में छूट

कैबिनेट ने आवास नीति में बदलाव को भी मंजूरी दी है। कॉलोनाइजर, बिल्डरों पर मेहरबानी दिखाते हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट, भवनों व मल्टीप्लेक्स के निर्माण के मानकों में छूट दी गई है। अब दून, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा व चंपावत जिलों में फुटहिल एरिया का निर्धारण संबंधित प्राधिकरण का बोर्ड करेगा। ऐसे क्षेत्रों में भवनों की अधिकतम ऊंचाई 21 मीटर व पहुंच मार्ग की चौड़ाई मैदानी क्षेत्रों से 25 प्रतिशत कम रखने के प्रावधानों को मंजूरी मिली है। भूखंड के क्षेत्रफल के अनुसार भवन की ऊंचाई को मंजूरी दी गई है।

वास्तुकला को बढ़ावा तो अतिरिक्त तल को मंजूरी

कैबिनेट ने उत्तराखंड की वास्तुकला को बढ़ावा देने के लिए भवनों में एक अतिरिक्त तल को मंजूरी दी है। जो भी भवन निर्माण की स्थानीय शैली को अपनाते हुए निर्माण कराएगा, वह एक मंजिल और बना सकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष रूप से सर्विस सेक्टर को बढ़ावा देने और निवेशकों को प्रोत्साहित करने को मानकों में शिथिलता देने का निर्णय किया गया है।