नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में कैबिनेट मंत्री के रूप में उमा भारती और आमंत्रित मेहमानों में साध्वी ऋतम्भरा को देख कर विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं के मंदिर बनाने के इरादों को बल मिल सकता है.

लेकिन विश्व हिन्दू परिषद के नेता और राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के संत कोई जल्दबाज़ी करने के मूड में नहीं नज़र आ रहे हैं.

शायद वे जानते हैं कि इस बार भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत में है इसलिए उनको मंदिर निर्माण की "आशा" तो है लेकिन उसके लिए वे एक साल तक इंतज़ार करने को तैयार हैं.

उधर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संरक्षक ज़फ़रयाब जीलानी को यकीन है कि मोदी कोई असंवैधानिक काम नहीं करेंगे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.

निर्माण का सामान

विश्व हिन्दू परिषद के शरद शर्मा जो अयोध्या में उस कार्यशाला के प्रमुख हैं जहां मंदिर निर्माण का सारा सामान तैयार रखा है, आशा करते हैं कि "अनुकूल संसद में समाधान होगा. संसद ही कुछ कर सकती है... सरकार अब क़ानून लाकर, सोमनाथ मंदिर की तरह अयोध्या में भी मंदिर निर्माण कर सकती है."

शर्मा सरकार को एक वर्ष का समय यह कहते हुए देते हैं, "अभी देश में अन्य समस्याओं का समाधान ज़्यादा ज़रूरी है."

लेकिन जीलानी को भरोसा है कि नरेंद्र मोदी कोई असंवैधानिक काम नहीं करेंगे. उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.

उनका कहना है कि सरकार ऐसा कोई क़ानून नहीं ला सकती है जिससे यथास्थिति में कोई बदलाव हो.

वो कहते हैं, "अगर लोकसभा में ऐसा कुछ होता भी है तो राज्य सभा में वह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाएगा क्योंकि भाजपा वहाँ बहुमत में नहीं है."

'मंदिर जरूर बनेगा'

राम मंदिर: विहिप की उम्मीदों को फिर लगे पंख

राम विलास वेदांती राम जन्मभूमि न्यास ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी हैं और दो बार भाजपा के सांसद रह चुके हैं. वो कहते हैं, "मुझे पूरा विश्वास है कि मंदिर ज़रूर बनेगा."

लेकिन वेदांती भी मोदी सरकार को कम से कम छह महीने देने को तैयार हैं. वेदांती भी संसद में विशेष विधेयक लाकर मंदिर निर्माण की बात कहते हैं.

उन्होंने कहा, "संसद में विधेयक लाकर विवादित स्थल राम जन्मभूमि न्यास को दे देना चाहिए ताकि संत मंदिर बनवा सकें."

जब वेदांती से यह कहा गया कि  राम मंदिर का मामला तो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो उनका जवाब था, "राजीव गांधी ने शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को बदल दिया था. उसी तरह संसद मंदिर निर्माण के लिए कोई क़दम उठा सकती है."

लेकिन विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव चम्पत राय की नज़र में, '123 करोड़ जनता की समस्याओं का निराकरण मंदिर निर्माण से ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं.'

वो कहते हैं, "पहले ग़रीबी और आतंकवाद की समस्याओं को दूर करना है. अभी सीमाएं असुरक्षित हैं और प्रशासन में अमेरिकी और अंग्रेज़ी संस्कृति का बोलबाला है. इन समस्याओं का समाधान हमारी भी प्राथमिकता है."

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