कैबिनेट के फैसले

-वर्ष 2016 से लगी थी रोक, गलत जमाबंदी की जांच के क्रम में लगी थी लगान रसीद काटने पर रोक

-जेपीएससी में दो सदस्यों के मनोनयन को मिली राज्य कैबिनेट की स्वीकृति

ॉरांची : राज्य में गैर मजरुआ भूखंडों से संबंधित लगान रसीद काटने पर अब रोक नहीं रहेगी। राज्य कैबिनेट ने वर्ष-2016 में जारी उस आदेश को रद कर दिया है जिसके माध्यम से रोक लगाई गई थी। इससे उनलोगों को अधिक परेशानी हो रही थी जो वर्षो से जमीन का स्वामित्व रखते हुए लगान रसीद कटवा भी रहे थे लेकिन अचानक उन्हें रोक दिया गया। इस फैसले के साथ-साथ राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को 17 प्रस्तावों पर मुहर लगाई।

दो नाम की अनुशंसा

कैबिनेट ने झारखंड लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में दो नामों की अनुशंसा की है। एसएस मेमोरियल कॉलेज में वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ। सुखी उरांव व रांची विवि के वाणिज्य एवं व्यापार प्रबंधन विभाग के सह प्राध्यापक डा। अजय कुमार चट्टोराज के नामों की अनुशंसा राज्यपाल से की गई है। राज्यपाल के कार्यालय से इसकी अधिसूचना जारी होगी। इस मनोनयन के साथ ही जेपीएससी में सदस्यों की कमी दूर हो जाएगी। प्रावधान के अनुसार आयोग के एक अध्यक्ष और चार सदस्य हो सकते हैं। वर्तमान में सदस्य के सभी पद रिक्त हैं।

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अनिल स्वरूप बने राज्य विकास परिषद के सीईओ

रांची : राज्य विकास परिषद के कार्यो को सुचारू ढंग से चलाने के लिए सरकार ने एक मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी की नियुक्ति का निर्णय लिया है। इस पद पर केंद्र में शिक्षा सचिव रह चुके अनिल स्वरूप को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। कुछ माह पूर्व सेवानिवृत्त हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अनिल स्वरूप को राज्यमंत्री का दर्जा भी मिलेगा। कैबिनेट ने इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी है।

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कैबिनेट के अन्य फैसले

- झारखंड प्रौद्योगिकी विवि रांची के लिए कुल 92 पदों के सृजन को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसमें वीसी समेत तमाम पद हैं। इसके अलावा 13 डाटा ऑपरेटर अलग से रखे जाएंगे।

-अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक-2018 के प्रस्ताव को मिली स्वीकृति।

-रांची जलापूर्ति परियोजना (फेज-1) के लिए भी स्वीकृत प्राक्कलित राशि को 148.06 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 261.43 करोड़ करने को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।

-बिहार बाल श्रमिक (प्रतिषेध एवं विनियमन) नियमावली, 1995 में संशोधन की स्वीकृति दी गई।

- झारखंड नगरपालिका नियामक आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य के वेतन भत्ते, अन्य सेवा शतर्ें तथा बजट, लेखा एवं अंकेक्षण नियमावली -2018 को स्वीकृति प्रदान की गई।

-कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने के लिए तत्कालीन व्यवस्था के तहत चयनित अंशकालीन शिक्षकों की कार्य अवधि विस्तार को स्वीकृति प्रदान की गई।

- झारनेट परियोजना के क्रियान्वयन एवं पांच वर्षो के संचालन व रखरखाव के लिए 286.22 करोड़ की स्वीकृति मिली। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 85 करोड़ 61 लाख रुपये व्यय करने को भी स्वीकृति।

-झारखंड हाईकोर्ट एवं जिला ज्यूडिशियरी में 5 वषरें से अधिक पुराने मामलों की पहचान के लिए गठित कोषांग के लिए झारखंड न्यायिक सेवा में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) स्तर के उप निबंधक (न्यायिक) के 01 पद तथा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) स्तर के सहायक निबंधक (न्यायिक) के 02 पदों की सृजन की स्वीकृति दी गई।

- झारखंड हाईकोर्ट में जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की सहायता के लिए एक सचिवालय की स्थापना और सहायक निबंधक (न्यायिक) के लिए सिविल जज (जूनियर डिवीजन) संवर्ग में 01 पद के सृजन की स्वीकृति दी गई।

-केंद्र प्रायोजित अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के अंतर्गत 148 करोड़ 02 लाख की लागत पर धनबाद शहरी जलापूर्ति परियोजना (फेज-1) को प्रशासनिक स्वीकृति दी गई।

- 363 करोड़ 36 लाख की लागत पर स्वीकृत आदित्यपुर शहरी जलापूर्ति परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति।

- राज्य के सेवानिवृत्त न्यायिक पदाधिकारियों एवं पारिवारिक पेंशनरों को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के आलोक में अंतरिम राहत के तहत मूल पेंशन में 30 फीसद वृद्धि किए जाने की स्वीकृति।

-झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों एवं प्रोन्नतियों में बरती गई अनियमितताओं की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग की अवधि अंतिम बार 3 महीने के लिए बढ़ाई गई है।

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उत्तराधिकारी प्रमाण-पत्र के बगैर 50 लाख तक मुआवजा

राज्य मंत्रिपरिषद ने मृतक पंचाटी अवॉर्डी के उत्तराधिकारियों को भू अर्जन अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा भुगतान के लिए उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के संबंध में राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस मंजूरी के पूर्व में वैध रैयत होने के प्रमाण पत्र के आधार पर मृतका पंचाटी के उत्तराधिकारियों को 10 लाख रुपये की मुआवजा राशि सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना भुगतान किया जाता था। मंत्रिपरिषद के वर्तमान मंजूरी के बाद मृतक पंचाटी के उत्तराधिकारी/उत्तराधिकारियों को प्रति पंचायती 50 लाख रुपये मात्र तक के मुआवजा राशि बिना सक्षम न्यायालय के उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना भुगतान किए जा सकेगा। साथ ही मृतक पंचाटी के उत्तराधिकारियों को भू अर्जन अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा के भुगतान के लिए उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र और अंचल कार्यालय से अंचलाधिकारी द्वारा प्रदत्त वैध एवं मान्य रैयत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया हो। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी इस स्थिति में सर्वप्रथम मृतक पंचाटी के वास्तविक उत्तराधिकारी/ उत्तराधिकारियों के विषय में पूरी जांच कर लेंगे। इस आधार पर उपायुक्त संतुष्ट हो जाएं तो मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा।

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