-आनंद ने तैयार किया पावर जनरेटर का नया मॉडल

-कार गुजरते ही पैदा होने वाली बिजली हो सकेगी स्टोर

-100 गाडि़यों के गुजरने पर पैदा होगी 500 वोल्ट बिजली

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LUCKNOW: वह दिन दूर नहीं जब रोड पर चलने वाली गाडि़यों से भी बिजली पैदा कर शहर को रौशन किया जाएगा। असल में बीटेक स्टूडेंट आनंद पांडेय ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिससे स्पीड ब्रेकर से बिजली पैदा हो सकेगी। इसके लिए खास सर्किट तैयार किया गया है। यही नहीं स्पीड ब्रेकर से पैदा होने वाली बिजली से आठ से दस घंटे तक का बैकअप तैयार किया जा सकता है। एक किलोमीटर तक दस पोल पर बिजली सप्लाई के लिए पांच लाख रुपये तक का खर्च आने का अनुमान है।

इस तरह पैदा होगी बिजली

इंजीनियर आनंद पांडेय बताते हैं कि एक सर्किट तैयार किया है जिसे स्पीड ब्रेकर के नीचे लगाया जाएगा, जिसमें ब्रेकर की जगह रोलर होगा। कार के गुजरते ही यह रोल करने लगेगा। इस रोलर में डायनेमो सिस्टम लगा होगा जो बिजली पैदा करेगा। इसके लिए आनंद ने एक खास सर्किट भी डेवलप किया है जो धीरे-धीरे पैदा होने वाली बिजली को स्टोर कर सकेगा और रात में अंधेरा दूर कर सकेगा। इस बिजली को चार्जेबल बैटरी में स्टोर किया जाएगा। फिर जरूरत के हिसाब से यूज किया जा सकेगा। आनंद बताते हैं कि अगर औसतन क्00 गाड़ी ब्रेकर के ऊपर से गुजरती है तो लगभग भ्00 वोल्ट का डीसी करेंट जनरेट होगा। मोटे तौर पर इससे एक किलोमीटर के दायरे में कम से कम दस स्ट्रीट लाइट को लगभग सात से आठ घंटे तक पावर सप्लाई दी जा सकती है। अगर इस सिस्टम को लार्ज स्केल पर लागू किया जाए और सरकार मदद करे तो पूरे शहर में वेस्ट बिजली से ही स्ट्रीट लाइट को रौशन किया जा सकता है। इससे बिजली की काफी बचत होगी, जिसे दूसरे कामों में लाया जा सकता है।

सेंसर से आपरेट की जा सकती है लाइट

एक सेटअप लगाकर उसे सेंसर के थ्रू जोड़ दिया जाए। सेंसर के थ्रू अंधेरा होते ही लाइट ऑन हो जाया करेगी और सूरज की किरणों या फिर एक खास इंटेंसिटी की रौशनी मिलते ही सप्लाई पावर ऑटोमेटिक ऑफ हो जाएगा। इसमें ना तो अधिक मैन पावर लगेगा और ना ही मेंटेनेंस का अधिक खर्च आयेगा। ऐसे में बिजली के लिए मशक्कत कर रही सरकारों के लिए यह फायदे का सौदा साबित हो सकता है। इस मेथड से परडे एक चौराहे से ही कम से कम एक मेगावाट बिजली बचायी जा सकती है। इससे पहले मेट्रो मॉडल और शाकप्रूफ बोर्ड बना चुके हैं आनंद

आनंद और हसन ने मिलकर मेट्रो का ड्राइवर रहित मॉडल भी तैयार किया था। साथ ही मेट्रो का फायर प्रूफ मॉडल भी तैयार किया था। इसमें एक निश्चित टंप्रेचर से अधिक टंप्रेचर मिलने पर मेट्रो में ऑटोमेटिक बारिश शुरू हो जाएगी। इसके अलावा आनंद एक शॉक प्रूफ स्विच बोर्ड भी तैयार कर चुके हैं। जिससे नंगे तारों को छूने पर भी करेंट नहीं मारता।