- भीषण बिजली संकट का मुकाबला करने को अब मार्केट में ढेरों ऑप्शन्स

- स्टार रेटिंग के बाद अब 'इनवर्टर' टेक्निक की दस्तक

- 36 परसेंट तक बचाई जा सकती है बिजली

- लोकल ब्रांड के इनवर्टर और स्टेबलाइजर से भी बिजली की ज्यादा खपत

- सीएफएल से बेहतर विकल्प साबित हो रही एलईडी लाइट्स

kanpur@inext.co.in

KANPUR : ऐसे शहर में जहां अंधाधुंध बिजली कटौती ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है, इनवर्टर तक पूरी तरह चार्ज नहीं हो पाते, वोल्टेज फ्लक्चुएशन्स की वजह से अक्सर इलेक्ट्रिक-इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंसेज फुंक जाते हों, फिर भी बिजली का बिल कम होने का नाम नहीं ले रहा अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है तो भीषण पावर क्राइसिस का मुकाबला करने के लिए नए ऑप्शन्स अपनाएं। इसी क्राइसिस के चलते पावर सेविंग एप्लाएंसेज की बाजार बड़ी होती जा रही है। आलम यह है कि बिजली संकट से जूझने के लिए न सिर्फ ब्रांडेड आइटम्स की बिक्री बढ़ी है बल्कि, पब्लिक का रुझान स्टार रेटिंग से लेकर 'इनवर्टर टेक्नोलॉजी' जैसी एडवांस टेक्निक की तरफ काफी बढ़ चुका है।

स्टार रेटिंग से भी ज्यादा एडवांस

करीब चार सालों से मार्केट में स्टार रेटिंग वाले एयर कंडीशनर और फ्रिज मार्केट में छाए हुए हैं। जितने ज्यादा स्टार्स, एक साल में बिजली की उतनी ही ज्यादा बचत। इस बार कम्पनियां कस्टमर्स के लिए इससे भी ज्यादा एडवांस टेक्निक लेकर आये हैं। इसे नाम दिया गया है, 'इनवर्टर.' विक्रेताओं और कंपनियों तक का दावा है कि स्टार रेटिंग की तुलना में 'इनवर्टर टेक्निक' के जरिए पूरे 36 परसेंट तक बिजली की बचत हो सकती है। एक अहम बात यह कि एसी-फ्रिज पर स्टार रेटिंग का ठप्पा हो या 'इनवर्टर' का, बिजली यूनिट्स की बचत एनुअल होती है।

होती है दोगुनी खपत.!

स्टार रेटिंग वाले फ्रिज-एसी में निश्चित समय बाद कम्प्रेसर ऑटोमेटिकली बंद हो जाता है। एक निश्चित समय बाद जब यही कम्प्रेसर दोबारा स्टार्ट होता है। तो उतनी ही बिजली खर्चा होती है, जितनी पहली बार खर्चा हुई थी। यानि जितने वक्त एसी-फ्रिज चालू रहता है। कम्प्रेसर ऑन-ऑफ होने की वजह से बिजली की दोगुनी खपत होती रहती है। दूसरी तरफ इनवर्टर तकनीक में कम्प्रेसर बंद नहीं होता। बल्कि, एक फिक्स वोल्टेज पर चलता रहता है। इससे कम्प्रेसर के दोबारा स्टार्ट करने का झंझट नहीं रहता। ना ही पहली बार स्विच-ऑन करने जितनी बिजली की खपत होती है।

लोकल

स्टेबलाइजर से करें तौबा

एसी-टीवी स्टेबलाइजर हो या चार्जिग वाले इनवर्टर एक्सप‌र्ट्स के अनुसार लोकल ब्रांड्स से लोगों को तौबा कर लेनी चाहिए। कानपुर इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन के पदाधिकारी अरुण निगम ने बताया कि लोकल ब्रांड के स्टेबलाइजर जल्दी गर्म हो जाते हैं। इनमें इस्तेमाल होने वाली कॉपर क्वाइल व कंडेंसर की क्वालिटी लो-स्टैंडर्ड होती है। जितनी ज्यादा हीट, उतना ज्यादा पॉवर लॉस इसलिए ट्रस्टेड ब्रांडेड स्टेबलाइजर ही खरीदने को प्रिफरेंस देनी चाहिए।

.तो कम समय में ज्यादा चार्जिग

इन दिनों भीषण बिजली कटौती की वजह से इनवर्टर तक चार्ज नहीं हो पाते। ऐसे में पब्लिक की दुश्वारियां बढ़ती ही जा रही हैं। जानकारों के अनुसार समय बीतने के साथ-साथ इनवर्टर की चार्जिग कैपेसिटी भी कम होने लगती है। इसकी एक अहम वजह इनवर्टर के प्रति लोगों का इग्नोरेंस है। एक्सपर्ट अरूण निगम के मुताबिक लोकल इनवर्टर में ओवर चार्जिग को रोक पाने वाली ऑटो कट-ऑफ तकनीक नहीं होती। दूसरा, बहुत से लोग अनजाने में कभी-कभी बोरिंग का पानी भी डाल देते हैं। इससे इनवर्टर की चार्जिग कैपेसिटी पर बुरा असर पड़ता है। इसकी मेटेलिक प्लेटें खराब हो जाती हैं और चार्जिग ज्यादा समय तक चलती रहती है। बिजली जाने पर जब इनवर्टर ऑन होता है तो खपत बहुत तेजी से होती है। वहीं ब्रांडेड कम्पनी के इनवर्टर में ऐसी प्रॉब्लम नहीं आती। इससे करीब 30 परसेंट तक बिजली बचाने में मदद मिलती है।

CFL के बाद अब LED

इन दिनों मार्केट में एलईडी (लाइट एमेटिंग डायोड) वाली लाइट्स लॉन्च हुई हैं। कम्पनियों का दावा है कि सीएफएल की तुलना में एलईडी लाइट्स भ्0 परसेंट तक बिजली बचाती हैं। क्भ् वॉट सीएफएल जितनी रोशनी महज फ् वॉट की एलईडी लाइट्स से ही मिल जाती है। तमाम रिसर्च रिपो‌र्ट्स भी बताती हैं कि सीएफएल में इस्तेमाल होने वाला फ्लोरोसेंट सॉल्युशन इको-फ्रेंडली नहीं होता। साथ ही यह सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है। वहीं एलईडी लाइट्स इको-फ्रेंडली होने के साथ ही हेल्थ फ्रेंडली भी होती हैं।

---

बॉक्स-क्

स्टार रेटिंग : अगर किसी कम्पनी के एसी में भ् स्टार रेटिंग है। तो प्रति घंटे क्भ्00 वॉट बिजली की खपत होती है। कुछ समय तक बंद होने के बाद जब कम्प्रेसर दोबारा चालू होता है तब एसी पर नए सिरे से क्भ्00 वॉट का लोड पड़ता है।

इनवर्टर टेक्निक : स्टार रेटिंग से एडवांस तकनीक। भ्-स्टार रेटिंग के मुकाबले इनवर्टर टेक्निक से लैस एसी को पहली बार चालू करने में क्ख्00-क्फ्00 वॉट का लोड पड़ता है। यहां एसी का कम्प्रेसर बीच में बंद नहीं होता। बल्कि, कूलिंग इस लेवल पर मेंटेन हो जाती है कि कम्प्रेसर पर महज ब्00-भ्00 वॉट का लोड रह जाता है। इसी वजह से इन उपकरणों की मदद से फ्म् परसेंट तक बिजली बचाई जा सकती है।

-------------------------------

बॉक्स-ख्

ब्0 वॉट की रोशनी अब फ् वॉट से

आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन ब्0 वॉट के ऑर्डनरी बल्ब जितनी रोशनी महज फ् वॉट की एलईडी लाइट्स से मिलती है। अभी तक इसका विकल्प क्भ् वॉट की सीएफएल ही थी। मगर, जब से एलईडी लाइट्स लॉन्च हुई हैं, तब से पॉवर सेविंग के लिए कस्टमर्स के लिए बेहतर विकल्प अवेलेबल है।

(नोट:- जानकारी एक मल्टीनेशनल के इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट के अनुसार)

---

वर्जन वर्जन

स्टार रेटिंग से भी एडवांस टेक्निक वाले इलेक्ट्रॉनिक एप्लायेंसेज मार्केट में अवेलेबल हैं। इसकी मदद से बिजलीच्की अच्छी-खासी बचत हो जाती है। मेरी सलाह है कि लोकल ब्रांड्स से लोगों को एवॉइड करना चाहिए। परचेजिंग के वक्त आपको थोड़ी राहत जरूरत मिल सकती है। मगर, यही राहत आगे बिजली के बढ़े हुए बिल के रूप में टेंशन लेकर आती है। इसलिए शुरुआत में ही ब्रांडेड चीज खरीदें, जिससे बिजली की सेविंग हो सके।

- अरुण निगम, अध्यक्ष, कानपुर इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन