- अगले सेशन से जेईई मेंस की सीएमएल में जुड़ेंगे 12वीं के मा‌र्क्स

- एक्सप‌र्ट्स का मानना कि स्टूडेंट्स का स्कूलों की ओर रुझान होगा कम

- छोटी क्लासेज से ही कोचिंग की ओर डायवर्ट होंगे स्टूडेंट्स

DEHRADUN: जेईई मेंस में अगले साल से क्ख्वीं के नंबर नहीं जोड़े जाएंगे। जेईई मेंस कमेटी का यह फैसला सीधे तौर पर कोचिंग संस्थानों के लिए संजीवनी साबित होगा। दरअसल फैसले से जहां एक ओर एंट्रेंस की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स में स्कूल के बोर्ड मा‌र्क्स को लेकर गंभीरता कम होगी, वहीं साल भर एंट्रेंस की तैयारी के लिए स्टूडेंट्स स्कूल की बजाय सीधे कोचिंग संस्थानों की ओर डायवर्ट होंगे।

एनआईटी में क्ख्वीं मा‌र्क्स नहीं जुड़ेंगे

कैंडिडेट्स को सीएमएल में केवल इसी साल क्ख्वीं के अंकों का फायदा होगा। साल ख्0क्7 से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी), जीएफआईटी जैसे संस्थानों में एडमिशन के लिए बनने वाली ऑल इंडिया रैंकिंग में क्ख्वीं के अंक नहीं जुड़ेंगे। दरअसल अभी तक एनआईटी में एडमिशन के लिए कैंडिडेट्स को पहले जेईई मेंस क्वॉलिफाई करना होता है। उसके बाद म्0 परसेंट जेईई की परफॉरमेंस और ब्0 परसेंट क्ख्वीं के मा‌र्क्स की परफॉरमेंस के आधार पर सीएमएल तैयार की जाती है। रैंकिंग के हिसाब से इन संस्थानों में एडमिशन मिलता था। लेकिन, हाल ही में देशभर के फ्क् एनआईटी संस्थानों में एडमिशन प्रोसेस में बदलाव किए जाने का फैसला किया गया है। जिसके तहत अब आईआईटी की तर्ज पर ही एडमिशन किए जाएंगे। यानि एनआईटी में एडमिशन के लिए क्ख्वीं के मा‌र्क्स के कोई मायने नहीं होंगे।

कोचिंग पर होगा फोकस

इस फैसले के बाद अब क्ख्वीं अपियरिंग और पासआउट स्टूडेंट्स को बोर्ड मा‌र्क्स को लेकर तनाव नहीं लेना पड़ेगा। क्ख्वीं के ब्0 परसेंट मा‌र्क्स न जोड़े जाने के फैसले से स्टूडेंट्स का फोकस अब पूरी तरह से कोचिंग हासिल करने पर होगा। इतना ही नहीं पेरेंट्स भी बेहतर इंजीनियरिंग के सपने को पूरा करने के चक्कर में बच्चे की कोचिंग पर ही ध्यान देंगे। टारगेट अचीवमेंट के लिए बच्चों को छोटी कलासेज से ही कोचिंग की ओर डायवर्ट करेंगे। जिस कारण से सीधे तौर पर कोचिंग सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा।

फैसले का सकारात्मक असर

- एनआईटी में सिलेक्शन के लिए क्ख्वीें बोर्ड मा‌र्क्स में ब्0 परसेंट का वेटेज नहीं मिलेगा।

- वेटेज न मिलने से एंट्रेंस के लिए तैयारी करना आसान होगा।

- जेईई मेंस और एडवांस को लेकर माइंड डायवर्ट नहीं होगा।

- एग्जाम में पात्रता के मापदंडों पर ध्यान दे सकेंगे।

- बोर्ड एग्जाम में बेहतर नहीं भी करने से एंट्रेंस के मानक पूरे करने में परेशानी नहीं होगी।

फैसले से स्कूलों को होगा नुकसान

- फैसले के कारण स्कूलों में पढ़ाई को लेकर लगाव कम होगा।

- पेरेंट्स भी बच्चे के फ्यूचर को देखते हुए स्कूल की जगह कोचिंग पर ध्यान देंगे।

- एंट्रेंस में बोर्ड मा‌र्क्स न जुड़ने से स्कूलों की इंपोर्टेस कम होगी।

वर्जन----

जेईई मेंस की कॉमन मेरिट लिस्ट में ब्0 परसेंट मा‌र्क्स न जुड़ने से बच्चे अब इंजीनियरिंग के लिए पूरी तरह से फोकस करेंगे। कोचिंग संस्थानों में इंजीनियरिंग की तैयारी बेहतर होती है। ऐसे में इस ओर रुझान बढ़ेगा।

---- विपिन बलूनी, एमडी, बलूनी क्लासेज