सवाल : आप जम्मू-कश्मीर से डेप्यूटेशन पर आए हैं, वहां की पुलिसिंग और यहां की पुलिसिंग में क्या डिफरेंस हैं।

जबाब : सच कहूं तो पुलिसिंग एक टफ जॉब है। आप कहीं भी रहें, लेकिन इसका थोड़ा तो फर्क पड़ता है। क्योंकि आप जहां से काम करके लौटे हैं, वहां के बारे में तो जानते हैं। पर, न्यू जगह पर थोड़ा एडजस्ट करने, समझने में समय तो लगेगा?

सवाल : पटना Žलास्ट में रांची का टेररिस्ट कनेक्शन जुड़ा है, इस पर क्या कहेंगे?

जबाब : वीवीआईपी लेवल पर सिक्योरिटी रांची पुलिस के लिए चैलेंजिंग है। मैं मानता हूं कि वीवीआईपी, वीआईपी प्रोटेक्शन नई प्रॉŽलम के रूप में खड़ी हुई है। उन प्रॉŽलम्स को दूर करने की कोशिश की जाएगी। उनकी सिक्योरिटी का प्रोविजन बदलने की दिशा में काम किया जाएगा।

सवाल : जम्मू में टेररिस्ट एक्टिविटी और स्टेट में नक्सल एक्टिविटी में क्या फर्क पाते हैं?

जबाब : जम्मू-कश्मीर में टेररिस्ट एक्टिविटी गुरिल्ला वार की तरह होती है। यहां नक्सली भी उन्ही की तरह गुरिल्ला वार करते हैं। कैपिटल में नॉर्मल क्राइम के तहत नक्सलवाद भी एक प्रॉŽलम है। देश के दूसरे स्टेट में टेररिस्ट एक्टिविटी बढ़ रही है। ऐसे में मिलिट्री टर्मिनोलॉजी को अपनाना बेटर ऑप्शन होगा।

सवाल : हर एसएसपी की ख्वाहिश होती है कि वह क्राइम से निबटने के लिए टीम चेंज करते हैं, आपकी क्या प्लानिंग हैै?

जबाब : मैं इस सिटी में नया हूं। यहां के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वर्तमान में सिटी में जो टीम हैं, वह ठीक है। मैं उनसे गाइडेंस लूंगा और गाईड का काम भी करूंगा। एटलिस्ट जबतक कोई बड़ी वारदात या संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कंप्लेन नहीं आती है, तब तक वे मेरे लिए यही टीम बेस्ट है।  

सवाल : आप अपने बारे में कुछ बताएं?

जबाब : मैं रांची में ही पला-बढ़ा हूं। यहां की भौगोलिक संरचना की जानकारी बहुत हद तक है। मैंने क्लास वन से सिक्स तक संत जॉन स्कूल में पढ़ाई की है। फिर, नेतरहाट स्कूल में पढ़ाई की। मैट्रिक के बाद सेंट जेवियर्स कॉलेज और फिर आईआईटी, खडग़पुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से डिग्री ली है। इसके बाद इंडियन रेल सर्विस में बतौर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के पोस्ट पर रहा। 2004 में मैंने सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया। एग्जाम देने के बाद क्वालिफाई किया। मैं जम्मू कश्मीर में किश्तवाड़, लेह और सुपौल में एसपी रहा।

सवाल : आपका कोई खास अनुभव?

जबाब : मैं जब किश्तवाड़ में पोस्टेड था, उसी वर्ष 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट में बम विस्फोट की घटना घटी थी। उस वक्त टेररिस्ट्स के तार किश्तवाड़ से जुड़े थे। मैं और मेरी टीम ने वहां से तीन टेररिस्ट्स को धर दबोचा। कुछ साल काम करने के बाद मार्च, 2013 में रांची आ गया। इससे पहले मैं एसटीएफ में बतौर एसपी रह चुका हूं।

सवाल : पŽिलक  को क्या मैसेज देना चाहेंगे?

जबाब : पुलिसिंग तब तक पुलिसिंग नहीं रहती, जब तक उसका पŽिलक के साथ कनेक्शन न हो। पुलिस का काम समाज में छिपे एंटीसोशल एलिमेंट्स को बाहर निकाल कर सलाखों के पीछे पहुंचाना है, जिससे सोसाइटी में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहे।