- अपने खेत में लहलहाती गेहूं की फसल को देखते विनोद त्यागी।

- ईख के खेत में प्याज की बुआई करने के फायदे बताते विनोद त्यागी।

- तकनीक का इस्तेमाल और कई फसलों की बुआई से होगा अधिक मुनाफा

- मौसम या अन्य वजह से भी नुकसान की गुंजाइश हो जाएगी काफी कम

सरधना : किसी भी क्षेत्र में नई तकनीक का ज्ञान हो तो इंसान को उसका लाभ जरूर मिलता है। कृषि क्षेत्र में भी यह बात लागू होती है। इन दिनों जहां बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते फसलों के नुकसान को लेकर किसान आत्महत्या तक कर रहे हैं, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो नई तकनीक और तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर नुकसान से बचे रहे।

कई फसल बोने से नहीं होता नुकसान

विनोद त्यागी के पास करीब 36 बीघा भूमि है। जिसमें एक ही समय पर वह कई फसल की बुआई करते हैं। उनका मानना है कि एक ही फसल पर निर्भर रहने से अधिकतर किसान नुकसान झेलते हैं। वह ईख और गेहूं की फसल के साथ नकदी फसल जैसे बैंगन, धनिया, प्याज, लहसुन आदि फसल की भी बुआई करते हैं।

बीज की रखते हैं पूरी जानकारी

विनोद त्यागी खेती की नई तकनीक और उन्नत बीजों की पूरी जानकारी रखते हैं। इसके लिए वह समय-समय पर कृषि विभाग और ब्लॉक कार्यालय जाकर अधिकारियों से मिलते हैं। समय-समय पर आयोजित होने वाले कृषक गोष्ठी और कृषक मेले में शिरकत करते हैं। किसानों के लिए आने वाली सरकारी योजना और अनुदान का लाभ उठाते हैं।

खाद का इस्तेमाल बेहद कम

भूमि की उपजाऊ शक्ति कम न हो और उसमें जीवाश्म की मात्रा भी बरकरार रहे। इसके लिए विनोद त्यागी हरी खाद, गोबर की खाद का इस्तेमाल अधिक करते हैं। रासायनिक खाद का उपयोग अपने खेत में वह कम से कम करते हैं। फसलों से कीटों को दूर रखने के लिए वह गोमूत्र का छिड़काव भी करते हैं।

प्याज, लहसुन से दूर रहते हैं जानवर

देहात क्षेत्र में जंगली जानवर फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। विनोद त्यागी इसका भी उपाय बताते हैं। उनका कहना है कि ईख के साथ यदि प्याज की बुआई की जाए तो जंगली जानवर खेत से दूर रहते हैं। इसी तरह सब्जियां उगाते हैं तो उसके पास लहसुन की बुआई करने से भी जंगली जानवर नुकसान नहीं करते।