RANCHI: राज्य की नई शराब पॉलिसी ने शराब कारोबार में सक्रिय प्राइवेट प्लेयर्स को हैंगओवर दे दिया है। पॉलिसी देख पुराने और मजबूत शराब कारोबारियों के माथे पर बल पड़ गए हैं, रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है-जैसे शराब बेचने का पुराना नशा उतरने के बाद हैंगओवर मार रहा हो। शराब के कारोबार में पहली बार अब सारे ट्रांजेक्शन बैंकों (व्हाइट मनी)के जरिए किया जाएगा। इतना ही नहीं, लॉटरी में शामिल होने के लिए एनुएल ड्यूटी फीस का 2 प्रतिशत भी जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। कारोबारियों का कहना है कि प्रॉफिट भी घटा दिया गया है। ऐसे में इस कारोबार से फायदा क्या होगा। ये समझ में ही नहीं आ रहा है।

एक दुकान पर 50 लाख खर्च

सिटी में एक दुकान चलाने के लिए जेब में कम से कम 50 लाख रुपए का होना जरूरी है। शराब कारोबार के जानकार बता रहे हैं कि लाटरी की राशि 20000 रुपए रखी गई है और इसके साथ एनुएल ड्यूटी फीस का 2 प्रतिशत जो करीब 3 लाख से लेकर 3.5 लाख तक होगा उसे भी जमा करना होगा। लॉटरी में नाम निकलने के बाद एनुएल ड्यूटी फीस का 5 प्रतिशत सिक्योरिटी मनी और 10 प्रतिशत ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर देना होगा। आंकलन के अनुसार, यह राशि करीब 30 लाख से अधिक की होगी। इसके बाद दुकान में 10 से 15 लाख का माल खरीदना ही पड़ेगा।

100 करोड़ घाटा फिर भी घटाया प्रॉफिट

सरकार ने शराब के कारोबार को अपने हाथों में लेकर चलाया, जिसमें करीब 100 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा। इस घाटे के बाद निर्णय लिया गया है कि शराब का कारोबार निजी हाथों में सौंप दिया जाए। कारोबारी घाटे के बावजूद निर्णय लिया गया है कि प्राइवेट प्लेयर्स को एमआरपी पर ही शराब बेचनी होगी और इसके लिए जो 15 प्रतिशत की प्रॉफिट पहले होती थी उसे घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।

बीयर की अलग दुकान संभव

अब सिटी में बीयर के लिए अलग से दुकानें भी खोली जा सकती हैं। इसके लिए महज 1,20,000 रुपए की फीस चुकानी पड़ेगी। अब कारोबारी यह सोच कर परेशान है कि उनकी दुकान के बगल में अगर कोई केवल बीयर की दुकान खोल ले तो उनका मुनाफा तो कम हो ही जाएगा।

वर्जन

अभी कई मामले ऐसे हैं जिन्हे आसान भाषा में समझने में लोगों को परेशानी हो रही है। इसके लिए जल्द ही ब्रीफ कर दिया जाएगा। शुल्क में थोड़ी वृद्धि हुई है, लेकिन सरकार को इससे फायदा पहुंचने की पूरी संभावना है।

-भोर सिंह यादव, उत्पाद आयुक्त, झारखंड