- 22 फुट की खुदाई में नजर आई झलक

- हाल ही में मिली थी सुरंग

LUCKNOW :

कभी नवाबों की आरामगाह तो कभी 1857 की क्रांति की रणनीति का केंद्र रही छतर मंजिल के इतिहास की परतें दिन ब दिन खुलती जा रही हैं। हाल ही में हुई खुदाई से इस इमारत के नीचे एक और इमारत होने की पुष्टि हो रही है।

22 फीट हो चुकी है खुदाई

छतर मंजिल में गोमती की तरफ कभी मुख्यद्वार हुआ करता था। उसी तरफ 16 मई से खुदाई शुरू हुई थी। पहले दो तीन दिन तो ऊपरी परत हटाई गई जैसे ही यह परत हटी उसके बाद वहां पर एक पीलर जो दीवार को सपोर्ट देने के लिए लगाया जाता है दिखाई दिया। जिसकी सूचना काम की देख रेख कर रहे नितिन कोहली को दी गई।

खुदाई में बरती सावधानी

नितिन कोहली ने बताया कि उसके बाद सावधानी पूर्वक खुदाई की गई जिसमें अब तक 22 फीट की खुदाई की जा चुकी है उसमें यह ज्ञात हुआ है कि छतर मंजिल के नीचे जिसे हम बेसमेंट समझते थे असल में वो एक इमारत है। अभी तक की खुदाई में इमारत की नीव नजर नहीं आई है।

पहले भी खुल चुके है राज

छतर मंजिल में इससे पहले खुदाई के दौरान सुरंग मिली थी। तब कहा जा रहा था कि इसके नीचे सुरंग में नाव को बांधा जाता था वहां पर बड़े बड़े कुंडे भी मिले थे। लेकिन अब इसमें नई कहानी जुड़ गई है खुदाई में जिस तरह से दीवार पिलर व दरवाजे मिल रहे हैं उससे यह लगने लगा है कि यह सुरंग नहीं बल्कि इमारत का एक हिस्सा है। काम करवा रहे नितिन कोहली ने बताया कि जब तक इमारत की नींव नहीं मिल जाती तब तक कहना मुश्किल है कि यह इमारत की शुरुआत है हो सकता है अंत तक कुछ और नए रहस्य खुले।

टीम ने किया दौरा

इतिहास की परते खोलती इस इमारत की जांच के लिए शनिवार को निर्माण निगम के संदीप सिंह, बीएन पाठक, पीडब्लूडी से श्वेता यादव, स्टेट ऑर्कोलॉजिकल डिपार्टमेंट से वीके सिंह, राम विनय राम मोहन मिश्र, ऑर्कोलॉजिकल ऑफ इंडिया के दिवाकर, वंदना सहगल आदि ने दौरा किया।

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छतर मंजिल का इतिहास

छतर मंजिल का निर्माण नवाब सआदत अली खां ने 1798-1814 में अपनी मां छतर कुंअर के नाम पर शुरु कराया मगर इसका निर्माण गाजीउद्दीन हैदर ने 1814 से 1827 में किया। इसके बाद इसका नवाब नासिरुददीन हैदर ने इसका पूर्ण रुप से निर्माण कराया। इसका निर्माण इंडो इटालियन रुप में हुआ है। इसके बारे में कहा जाता है कि इसके निचले हिस्से में गोमती का पानी भरा रहता था जिससे यह इमारत हमेशा ठंडी बनी रहती थी। यह जगह नवाब वाजिद अली शाह का निवास स्थान भी रही बाद में इसको क्रांतिकारियों ने यहां बैठकर अपनी रणनीतियां भी बनाई।