निर्माण के बाद से ही सुसाइड प्वाइंट बना है नया यमुना पुल

अब तब साढ़े तीन सौ लोग इससे छलांग लगाकर दे चुके हैं जान

घटनाएं रोकने के लिए आयरन नेट लगाने की योजना खटाई में पड़ी

ajeet.singh@inext.co.in

ALLAHABAD: यमुना नदी पर बना नया पुल अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है। अब इसे सुसाइड प्वाइंट के रूप में भी जाना जाने लगा है। अब तक लगभग सात सौ लोग इस पुल से छलांग लगा चुके हैं, जिसमें साढ़े तीन सौ से अधिक की जान जा चुकी है।

केबल स्टेड ब्रिज

पुल का निर्माण साल 2000 में शुरू हुआ था। 2004 में बनकर तैयार हुआ। यह पुल केबल स्टेड तकनीकी पर बना है। इसकी लंबाई 1510 मीटर बताई गई है। पुल दो भागों में बंटा है। यह मात्र दो पिलर पर केबल के सहारे खड़ा है।

साल 2004-05 से आवागमन

साल 2004-05 में पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू हुई। एनएचएआई ने पुल के रखरखाव का जिम्मा कोवी-डीआइपीएल के ज्वाइंट वेंचर को सौंपा। टोल टैक्स वसूली के लिए एक कंपनी को जिम्मेदारी दी गई। पुल शुरू हुए एक महीने ही बीते थे कि लोगों ने इससे छलांग लगानी शुरू कर दी। साल 2005 से 2007 के बीच पुल से लगभग 200 लोगों ने नदी में छलांग लगाई। इनमें से 50 की मौत हो गई, जबकि शेष को बचा लिया गया। दिसम्बर 2007 में एनएचएआई के अधिकारियों ने पुल पर बाकायदा हवन-पूजन करवाया, ताकि ऐसी घटनाएं न हों।

योजना ठंडे बस्ते में

जिला प्रशासन ने 2007 में पुल पर हो रही आत्महत्या की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए एनएचएआई के अधिकारियों के साथ मीटिंग की। तय हुआ कि पुल की रेलिंग के दोनों ओर आयरन नेट लगाया जाए ताकि नदी में कूदने वाले उसमें फंस जाएं और उन्हें बाद में सुरक्षित निकाल लिया जाए। योजना पर कई महीने मंथन चला और अंत में बजट न होने की बात पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

नौ साल में 700 ने लगाई छलांग

गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2005-2014 के बीच इस पुल से 700 से अधिक लोग छलांग लगा चुके हैं। इसमें से 350 से अधिक की जान जा चुकी है। यह आंकड़ा थाना और पुल पर तैनात गार्डो के हवाले दिया गया है।

गार्ड की तैनाती का असर नहीं

पुल के दोनों ओर आयरन नेट तो नहीं लगा, लेकिन वहां गार्डो को तैनात करने का निर्णय लिया गया। इनकी तैनाती पुल से छलांग लगाने वालों पर रोक लगाने के लिए की गई थी, लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं पड़ा। क्योंकि पुल से छलांग लगाने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है। हां, इनकी तैनाती से ये जरूर हुआ कि अब छलांग लगाने वालों में से अधिकतर को बचा लिया गया।

बाक्स

शहर और नैनी को जोड़ता है ब्रिज

2000 में शुरू हुआ पुल का निर्माण लगभग 40 माह में हुआ था

जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन ने इसकी फंडिंग की

ब्रिज के डिजाइन और कंस्ट्रक्शन में दानिश कंपनी की सलाह ली गई

यहां से कूदकर जान देने वालों में औसत उम्र 15 से 25 साल है

क्या कहते हैं लोग

पिछले 10 साल में काफी लोग यहां से कूदे। कुछ मरे तो कुछ जिंदा भी बचाए गए

अंकित केसरवानी

पुल से छलांग लगने वाले या तो घर से लड़कर आते हैं या एग्जाम में फेल होने के बाद। कई प्यार में फेल होने वाले भी हैं

पंकज त्रिपाठी

पुल के नीचे एक मजार थी। उसी पर पूल का निर्माण कराया गया। इसलिए पुल लोगों को अपनी ओर खींचता है

अलोक कनौजिया

भ्रांतियां

कहा जाता है कि इलाहबाद का संगम किनारे बना किला कुंवारा किला है। इस किले ने कभी कोई युद्ध नहीं देखा। इस वजह से किला बलि मांगता रहता है। यही हाल पुल का भी है, क्योंकि इसका भी अभी तक ऑफिसियली तौर पर उद्घाटन नहीं हुआ है। यही कारण है कि यह लोगों को सुसाइड के लिए प्रेरित करने वाला पुल बन गया है।

दो थानों के बीच फंसता है मामला

नया यमुना पुल नैनी और कीडगंज थाना की सीमा में आता है

पुल का उत्तरी हिस्सा कीडगंज में है और दक्षिणी हिस्सा नैनी में

यहां होने वाले हादसों में सीमा विवाद बहुत होता है

कई बार यह तय करने में ही कई दिन गुजर जाते हैं कि किस थाने की पुलिस खोजबीन करेगी।

नए यमुना पुल कूदी विवाहिता

नए यमुना पुल से छलांग लगाने वालों में संडे को एक और विवाहिता का नाम जुड़ गया। उसने पति से विवाद के बाद पुल से छलांग लगाई। हालांकि उसे मरने से बचा लिया गया। नैनी थाना क्षेत्र के एडीए कॉलोनी निवासी अलोक बनर्जी कपड़े का व्यवसाय करते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले नैनी स्थित अपना निजी मकान बेच दिया। पन्द्रह दिन पहले उन्होंने पत्‍‌नी को मकान बेचने की बात बताई तो दोनों में जमकर कहासुनी हुई। रविवार को भी इसी बात पर दोनों में विवाद हुआ। इसके बाद आलोक काम से बाहर चला गया। इसके बाद पत्‍‌नी भी घर से निकली और नए यमुना पुल पर पहुंच गई। जब तक वहां के लोग कुछ समझते उसने छलांग लगा दी। उसे छलांग लगाते देख यमुना में प्रशिक्षण दे रहे जल पुलिस सहायक कोच रज्जन प्रसाद, उमा शंकर, राम निरंजन आदि ने बचा लिया और स्थानीय पुलिस को जानकारी दी। पुलिस उसे थाने ले आई और पति को बुलाकर दोनों में समझौता कराया। इसके बाद महिला को घर भेज दिया गया।