इन बच्चों के लिए जेल कैंपस में ही स्कूल खोला जा रहा है। पूर्व बालपन विद्यालय के नाम से शुरू होने वाले इस स्कूल में महिला कैदियों के साथ ही अंडर ट्रायल महिला कैदियों के साथ रह रहे बच्चे भी पढ़ाई कर सकेंगे।

प्री नर्सरी से क्लास 1 तक  होगी पढ़ाई
पूर्व बालपन विद्यालय महिला सेल में ही खुलेगा और यहां प्री नर्सरी से क्लास 1 तक की पढ़ाई होगी। इस स्कूल में 6 साल व उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को ही एडमिशन दिया जाएगा। इसकी पूरी तैयारी जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन डिपार्टमेंट के साथ मिलकर कर ली है।

मर्डरर कैदी बनेगी टीचर
घाघीडीह जेल में ही मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही एक महिला कैदी पूर्वी चटर्जी टीचर के रोल में रहेगी। पूर्वी वेल एजुकेटेड महिला कैदी है, जिसे इन छोटे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी मिली है। अपने इस नए रोल से वह काफी उत्साहित है।

बहन के साथ सजा भुगत रही पूर्वी
42 वर्षीया पूर्वी चटर्जी अपनी बहन चित्रा चटर्जी के साथ उम्रकैद की सजा भुगत रही है। दोनों मानगो की रहने वाली हैैं। दोनों बहनों पर अपनी सिस्टर इन लॉ को वर्ष 2005 में आग में जलाकर हत्या कर देने का आरोप है। दोनों को वर्ष 2008 में दोषी करार दिया गया था।

1500 रुपए मिलेंगे पूर्वी को
पूर्वी को पूर्व बालपन स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के एवज में हर माह वेतन के रूप में 1500 रुपए मिलेंगे। उसे सेलेक्ट करने का कारण यह है कि वह ग्र्रेजुएट है और उसका कम्यूनिकेशन स्किल भी बेहतर है। वह बच्चों को अल्फाबेट्स, बेसिक हिन्दी, इंग्लिश व नंबर्स की पढ़ाई करवाएगी।

5 महिला कैदी हैं ग्र्रेजुएट
घाघीडीह जेल में बंद महिला कैदियों में से लगभग 5 ग्र्रेजुएट हैैं। जेल एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि फिलहाल कम बच्चे हैैं, इसलिए एक टीचर से ही काम चल जाएगा। जरूरत पडऩे पर दूसरी महिला कैदियों को भी इस काम में लगाया जाएगा।

एजुकेशन डिपार्टमेंट कर रहा हेल्प
डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा पूर्व बालपन स्कूल के लिए ब्लैक बोर्ड, बच्चों के लिए बुक्स व दूसरे स्टडी मेटेरियल्स अवेलेबल कराया जा रहा है, ताकि बच्चों को पढ़ाई में किसी तरह की कोई प्रॉब्लम न हो।

महिला कैदियों के साथ रह रहे उनके बच्चे
घाघीडीह जेल में कई ऐसी महिला कैदी हैैं, जिनके बच्चे छोटे हैैं और वो उनके  साथ ही जेल में रहते हैैं। कई ऐसी महिला कैदी भी हैैं, जिनकी डिलेवरी जेल में रहते हुए ही हुई। ऐसे में कैदियों के बीच रहते हुए, इनकी पढ़ाई-लिखाई भी नहीं हो पा रही है।

12 बच्चे हैं जेल में
घाघीडीह सेंट्रल जेल में लगभग 65 महिला कैदी हैैं। इनमें कईयों के छोटे-छोटे बच्चे भी साथ में ही रहते हैैं। फिलवक्त जेल में 12 छोटे-छोटे बच्चे हैैं, जो अपनी मां के साथ जेल में ही रहने को मजबूर है। 2 बच्चे अपनी मां के साथ संडे की मॉर्नंग रिहा हो गए।

ताकि पढ़ सके बच्चे
जेल में रहते हुए भी बच्चे अपनी प्राइमरी एजुकेशन पूरी कर सकें। उन्हेंजेल से  बाहर निकलने के बाद पढ़ाई-लिखाई को लेकर कोई प्रॉब्लम न हो। कुछ इसी सोच के साथ जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने जेल कैदियों के बच्चों को स्कूल भेजने का इंतजाम कर रहा है।