इस ख़बर का आम तौर पर भारत में स्वागत हुआ है कि हॉलीवुड की नामी-गिरामी हस्तियों को फ़िल्म कला के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण देने वाली न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी अब भारत में भी अपनी प्रशिक्षण शाखा खोलने वाली है।

भारत में फ़िल्मों का बाज़ार ख़ासा बड़ा है जिसे देखकर विदेशी संस्थाओं के भी मुँह में पानी आ रहा है और न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी भी इसी तर्ज़ पर दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा में ये शाखा खोलने जा रही है।

न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी मुंबई में पहले की वर्कशॉप चला चुकी है लेकिन पूरा प्रशिक्षण स्कूल ही खोलने को एक बड़ा क़दम समझा जा रहा है जो भारतीय फ़िल्मोद्योग में इस अकादमी का दबदबा बढ़ाने की क्षमता रखता है।

न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी की एक वरिष्ठ पदाधिकारी किट्टी कू ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "हमें उम्मीद है कि हम इस स्कूल के ज़रिए भारत में भी फ़िल्म निर्माताओं और अन्य हस्तियों की एक नई पीढ़ी तैयार कर सकेंगे." और अनेक भारतीय फ़िल्मी हस्तियों का मानना है कि इस उद्योग में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का होना ज़रूरी है जिससे गुणवत्ता में सुधार आएगा।

भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्रात कलाकार ओम पुरी ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा से भारत के फ़िल्म उद्योग और बाज़ार में सुधार आने का साथ-साथ इसे बढ़ावा भी मिलेगा।

"भारत में बहुत से ऐसे संस्थान हैं जो अभिनय और फ़िल्म निर्माण के अनेक क्षेत्रों में प्रशिक्षण देते हैं लेकिन खरी बात कहूँ तो उनमें से ज़्यादातर कोई ख़ास अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं."

ओम पुरी का कहना था, "अगर न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी जैसे पेशेवर संस्थान भारत में आकर फ़िल्म क्षेत्र में भावी पीढ़ियों को प्रशिक्षित करते हैं तो इससे पूरे उद्योग का फ़ायदा होगा क्योंकि हॉलीवुड की फ़िल्मी हस्तियों के पेशेवर नज़रिये की भारत में भी सख़्त ज़रूरत है."

उधर किट्टी कू का कहना है कि न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी की सोच में ये नज़रिया झलकता है, "किसी भी क्षेत्र के छात्र हमेशा नई चीज़ें सीखना और आज़माना चाहते हैं। इनमें फ़िल्म उद्योग की नई चीज़ें और तकनीक भी शामिल हैं। अकादमी के भारतीय स्कूल के ज़रिए भारतीय छात्र भी ये सीख सकेंगे कि हॉलीवुड में किस तरह से फ़िल्म बनाई जाती हैं."

हॉलीवुड की छाया

न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी की भारतीय शाखा दिल्ली के नज़दीक ग्रेटर नोएडा में खोली जाएगी जिसके वर्ष 2012 में जुलाई-अगस्त में शुरू हो जाने की उम्मीद की जा रही है।

हालाँकि ये समझा जा रहा था कि इस क्षेत्र में सक्रिय भारतीय संस्थान न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी के भारत में आने से कुछ चिंतित होंगे क्योंकि उनकी गुणवत्ता पर सवाल उठने के अलावा उनके लिए हॉलीवुड की संस्था का मुक़ाबला करना मुश्किल हो सकता है लेकिन पुणे स्थित भारत के नामी-गिरामी फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान यानी एफ़टीआईआई के निदेशक डी जे नारायण इस प्रतिस्पर्धा से बिल्कुल भी घ़बराते नज़र नहीं आए।

ओमपुरी की ही तरह डी जे नारायण का भी कहना था कि इस तरह की प्रतिस्पर्धा भारतीय फ़िल्म उद्योग और प्रशिक्षण संस्थानों के लिए अच्छी ही साबित होगी।

न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी सिर्फ़ लगभग बीस साल पहले यानी 1992 में वजूद में आई थी जबकि एफ़ टी आई आई का वजूद लगभग आधी शताब्दी पुराना है। इस संस्थान से प्रशिक्षण हासिल करने वालों में सुभाष घई और संजय लीला भंसाली जैसे नाम भी शामिल हैं। संस्थान से प्रशिक्षित रसूल पूकुत्ती को अनेक ऑस्कर जीतने वाली फ़िल्म स्लमडॉग मिलिनेयर के लिए साउंड मिक्सिंग में ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है जिन्होंने ब्लैक, साँवरिया और गाँधी-माई फ़ादर जैसी फ़िल्मों में अपने हुनर का जादू दिखाया था।

निदेशक डी जे नारायण का कहना था, "ये संस्थान ऐसी प्रतिस्पर्धा से कभी नहीं घबराता है। संस्थान जो अच्छा और पेशेवर काम पिछले पचास साल से करता आ रहा है, वही आगे भी जारी रखेगा। भारत एक स्वतंत्र देश है जहाँ इस तरह के संस्थान स्थापित करने की हर किसी को आज़ादी है जिसका हम स्वागत करते हैं."Om Puri

नारायण एफ़ टी आई आई को अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्थापित और ख्याति प्राप्त संस्थान मानते हैं और उनका मानना है कि न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा भावी छात्रों को संस्थान में आने से नहीं रोक सकेगी।

नारायण का कहना था कि संस्थान बड़े पैमाने पर सुधार कार्यक्रम चला रहा है जिसमें ख़ासतौर से संस्थान को अंतरराष्ट्रीय छवि देने की कोशिश की जाएगी क्योंकि "अनेक देशों से छात्र यहाँ आकर फ़िल्म निर्माण कला और अभिनय में प्रशिक्षण हासिल करते हैं."

लेकिन न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी के साथ हॉलीवुड की बड़ी हस्तियों के नामों की छाया साथ होगी जिनमें स्टीवन स्पीलबर्ग और अनेक बड़े नाम शामिल हैं।

न्यूयॉर्क के अलावा इस अकादमी के यूनीवर्सल स्टूडियो। लॉस एंजेल्स और अबू धाबी में भी अकादमी शाखाएँ हैं और इनमें स्टीवन स्पीलबर्ग और अभिनेता केविन स्पेसी जैसी हस्तियाँ अपना हुनर छात्रों को सिखाती हैं।

अंतरराष्ट्रीय छाप

किट्टी कू का कहना है कि अकादमी हॉलीवुड की इन हस्तियों को अपने यहाँ हुनर सिखाने के लिए कोई धन नहीं देती है क्योंकि वहाँ ये संस्कृति है कि कामयाब हस्तियाँ अपना हुनर छात्रों के साथ मुफ़्त में बाँटना चाहते हैं।

किट्टी कू का ये भी कहना था कि अकादमी की भारतीय शाखा में आमतौर पर भारतीय फ़िल्मी हस्तियाँ नहीं पढ़ाएंगी क्योंकि अगर कोई छात्र बिल्कुल भारतीय शैली में फ़िल्म निर्माण कला सीखना चाहता है तो उसके पास बहुत से विकल्प हैं।

"भारतीय शैली में तो बहुत से संस्थान फ़िल्म कला सिखाते हैं लेकिन हमारे संस्थान में कुछ अलग शैली में सिखाया जाता है। हमारे संस्थान में सिखाने वाले भिन्न पृष्ठभूमि से आते हैं जिनका सिखाने का अंदाज़ भी अलग ही है."

ये पूछे जाने पर कि क्या वो न्यूयॉर्क फ़िल्म अकादमी में छात्रों को अपना हुनर सिखाने में कोई दिलचस्पी रखेंगे तो ओमपुरी का कहना था कि वो कभी-कभार वहाँ जाकर छात्रों से बातचीत करने की इच्छा रखते हैं ताकि अनुभव बाँटे जा सकें और छात्रों को भारतीय फ़िल्म क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ चढ़ने में मदद मिल सके।

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