-बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की मौत का मामला

-मेडिसीन वार्ड के 14 नंबर वार्ड में तीन दिन से भर्ती थी महिला

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गर्भस्थ बच्चे की मौत के मामले में दिन पर दिन नए आरोप प्रत्यारोप लग रहे हैं। एक तरफ मेडिकल कॉलेज प्रशासन मामले पल्ला झाड़ने में लगा है तो दूसरी ओर बच्चे की मां लक्ष्मी के परिजन मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि लक्ष्मी के इलाज में डॉक्टर्स लापरवाही कर रहे थे, यही वजह है कि गर्भस्थ बच्चे की मौत हो गई। क्9 फरवरी को मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड में बेड संख्या फ्9 पर लक्ष्मी को भर्ती कराया गया। इस दौरान किसी ने भी उसक इलाज में गंभीरता नहींदिखाई।

ये है मामला

कैंम्पियरगंज के करमैनी निवासी रमेश का कहना है कि उसकी पत्‍‌नी सात माह की गर्भवती थी। क्9 फरवरी को उसे मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड में भर्ती कराया गया। उसे पीलिया की शिकायत थी। उसका इलाज जूनियर डॉक्टर्स कर रहे थे, जबकि उसके पति ने डॉक्टरों से इलाज के लिए कहा था। ख्क् फरवरी को उसकी हालत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने उसे अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर भेज दिया। जैसे ही वह मेन गेट पर पहुंचा, अचानक उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। इस बीच उसने बच्चे को जन्म दे दिया और जमीन पर गिरते ही बच्चे की मौत हो गई।

क्या सच छिपा रहा है मेडिकल कॉलेज?

आरोप है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन पूरे मामले की लीपापोती करने की कोशिश की। मेडिकल कॉलेज का दावा है कि महिला ओपीडी में इलाज के लिए पहुंची थी। यहां पता चला कि उसे पीलिया है। परिजनों का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज खुद को बचाने के लिए कहानी गढ़ रहा है कि बच्चा पेट में ही मर गया था, लेकिन परिवार के लोगों का दावा है कि ऐसा कुछ भी नहींहुआ। बच्चे की मौत और लक्ष्मी की हालत के लिए मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स और प्रशासन जिम्मेदार है और वे खुद को पाक साफ बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।

सदमे में हैं परिजन

लक्ष्मी और रमेश का यह पहला बच्चा था। उन्होंने नन्हें मेहमान के लिए सपने संजोये थे, लेकिन ख्क् फरवरी को उनके सारे सपने चूर चूर हो गए। मां लक्ष्मी आज भी अस्पताल में ही भर्ती है, उसे विश्वास ही नहींहो रहा है कि उसका लाल इस दुनिया में आने से पहले ही मौंत की नींद सो गया। लक्ष्मी का मां कमलावती अपनी आंखों में आंसू लिए कहती हैं कि उसकी बेटी बचा लीजिए। उसकी हालत काफी खराब है। अब स्थिति यह है कि पूरे परिवार का भरोसा मेडिकल कॉलेज से भरोसा उठता जा रहा है।

वर्जन

गाइनीकोलॉजी हेड इस समय छुटटी पर हैं। मामले को संज्ञान में ले लिया गया है। जांच कराई जाएगी। जांच में पाए गए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ.केपी कुशवाहा,

प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

सवालों में अजन्मे की मौत

-अगर महिला प्रेगनेंट थी तो उसे गाइनी वार्ड में क्यों भर्ती नहींकराया गया?

-मेडिकल कॉलेज में अल्ट्रासाउंड की सुविधा होने के बाद भी महिला को जांच के लिए बाहर क्यों भेजा गया?

-सीनियर डॉक्टर्स होने के बाद उसका इलाज जूनियर डॉक्टर्स क्यों कर रहे थे?

-अगर उसे जांच के लिए बाहर ही भेजा गया तो उसके साथ कोई नर्स क्यों नहींभेजी गई।

- पीडि़त महिला के पास क्9 फरवरी को मेडिसिन वार्ड में भर्ती होने का सबूत है। फिर मेडिकल कॉलेज प्रशासन उसे ओपीडी में दिखाने का झूठ क्यों बोल रहा है?