-वाट्सअप, फेसबुक की लत से पती-पत्‍‌नी के बीच खड़ी हो रही दीवार

-आशा ज्योति केन्द्र में हर रोज आ रहे हैं मोबाइल की वजह से हुए विवाद

केस-1

महमूरगंज के एक दम्पती का छह साल पुराना रिश्ता शादी के महज छह माह बाद ही शक के चलते टूट गया। पत्‍‌नी का मोबाइल पर चैट और कॉल करना पति को नागवार गुजरा। पति के ऐतराज पर पत्‍‌नी ने विरोध किया तो उसने रिश्ता खत्म कर लिया। केस वर्कर की काउंसलिंग भी दोनों के बीच की दरार नहीं भर पाई।

केस-2

सोनिया की रहने वाली विवाहिता कुछ दिन पहले पति की शिकायत के लिए आशा ज्योति केन्द्र पहुंची। वहां पत्‍‌नी ने पति पर रात भर किसी अन्य महिला से चैट का आरोप लगाया। दोनों की काउंसलिंग कर किसी तरह घर भेजा गया, लेकिन कुछ दिन बाद फिर शक के चलते रिश्ता टूट गया।

ये दो केस बताने के लिए काफी हैं कि पूरी दुनिया को जोड़े रखने वाला मोबाइल बेहद नजदीक के रिश्तों को तोड़ रहा है। पांडेयपुर स्थित आशा ज्योति केन्द्र में ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जिनमें फोन पति-पत्‍‌नी के बीच रिश्ता टूटने का कारण बन रहा है। परिवार के अन्य रिश्तों में फोन कलह पैदा कर रहा है।

50 फीसदी रिश्तों में दीवार बना मोबाइल

केस वर्कर सोनल की मानें तो पति-पत्‍‌नी के रिश्ते सबसे ज्यादा शक के चलते टूटते हैं। उनके पास आने वाले मामलों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा मामले ऐसे हैं जिनमें पतियों को पत्‍‌नी के स्मार्ट फोन चलाने से ऐतराज होता है। पतियों की शिकायत रहती है कि पत्‍‌नी स्मार्ट फोन लेकर दिनभर बातें या चैट करती है। ऐसे मामलों में महिला पुलिस और काउंसलर द्वारा काफी कोशिश की जाती है। फिर भी ज्यादातर रिश्ता शक और जिद की वजह से टूट जाता है।

स्वीकारनी होगी महिलाओं की आजादी

इस मामले में समाज शास्त्री कहते हैं इस आधुनिक युग में भी पुरुष वर्ग महिलाओं की आजादी को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। महिलाओं का आत्मनिर्भरता होकर पुरुषों से कदम मिलाकर चलने का दौर आ गया है, लेकिन विचारों में तालमेल न होने से रिश्तों में दरार आ रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि हर बार गलत पुरुष ही होता है, महिलाओं को भी सही-गलत को समझना होगा। दांपत्य जीवन में सब कुछ की लिमिट में होना चाहिए।

रिश्ते ऐसे होते हैं सफल

आशा ज्योति केन्द्र की वर्कर का कहना है कि काउंसलिंग के दौरान पति-पत्‍‌नी को हर तरह से समझाने की कोशिश की जाती है। कई बार बात बन जाती है, लेकिन कई मामलों में दोनों कुछ नहीं सुनते। ऐसे में दोनों को अलग-अलग रहने की सलाह दी जाती है। जिन मामलों में समझौता हो जाता है, उनका फॉलोअप होता रहता है जिससे आगे दिक्कत न हो।

एक नजर

(अगस्त 2016 से अब तक)

1184

मामले आए घरेलू हिंसा के

100

मामले लगभग केन्द्र में आते हैं हर महीने

50

फीसदी मामले स्मार्टफोन की वजह से

92 में से 57

मामले सिर्फ स्मार्टफोन से जुड़े आए जुलाई माह में

मोबाइल हर किसी की जरूरत है। लिहाजा उसे किसी से छीना नहीं जा सकता। इससे जुड़े पति-पत्‍‌नी के जितने भी केस आते हैं सभी काउंसलिंग के माध्यम से सुलझाने का प्रयास किया जाता है। सफल न होने पर रिश्ते टूट जाते है।

रश्मि दूबे, प्रबंधक, आशा ज्योति केन्द्र

अब वक्त आ गया है पति-पत्‍‌नी को एक दूसरे को पूरी तरह से समझें। हर चीज की एक लिमिट होती है। इसलिए दोनों को सामंजस्य बिठाकर चलने से रिश्ते मजबूत हो पाएंगे।

प्रो। रमा शंकर त्रिपाठी, सोशियोलॉजिस्ट