-अब्दुल्लापुर में जमीन से अवैध कब्जा हटवाने पूरे लाव लश्कर के साथ पहुंची थी निगम की टीम

-किसानों का रुख देख ढीला पड़ा टीम का हौसला, उल्टे पैर लौटा पूरा सरकारी अमला

Meerut: अब्दुल्लापुर में जमीन से अवैध कब्जा हटवाने गई निगम की टीम ने ग्रामीणों के सामने घुटने टेक दिए। भारी पुलिस बल और लाव लश्कर के साथ जमीन को कब्जा मुक्त कराने के घुसी टीम ग्रामीणों के आक्रोश के आगे हौसला गंवा बैठी। गुस्साए ग्रामीणों ने भी अफसरों को आर-पार की लड़ाई की चुनौती दे डाली। छह घंटे तक लोगों के साथ चली तनातनी के बाद निगम टीम उल्टे पैर वापस लौट आई।

नगर निगम का फ्लॉप शो

सोमवार सुबह 11 बजे नगर निगम संपत्ति अधिकारी राजेश सिंह व तहसीलदार महेन्द्र बहादुर के नेतृत्व में निगम की टीम अब्दुल्लापुर पहुंची। यहां जैसे ही टीम बुल्डोजर लेकर कब्जा हटवाने हटी तो ग्रामीणों का उग्र रुख देखकर टीम ने वापसी में ही भलाई समझी। इस पर संपत्ति अधिकारी राजेश सिंह ने फोन पर नगर आयुक्त को पूरे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी। नगर आयुक्त ने इस पर अपर नगर आयुक्त मृत्युंजय कुमार को मौके पर भेजा। मौका मुआयना करने के पर अपर नगर आयुक्त ने टीम को कब्जे हटवाने के निर्देश दिए।

पांच थानों की पुलिस

ग्रामीणों के साथ विवाद को देखते हुए प्रशासन ने मौके पर गंगानगर, इंचौली, परीक्षितगढ़, मुंडाली समेत पांच थानों की पुलिस और एक कंपनी पीएसी लगाई थी। इसके अलावा मौके पर दमकल की गाडि़यां भी लगाई गई थी। अपर नगर आयुक्त के निर्देश पर जैसे ही पूरा लाव लश्कर क्षेत्रीय कार्यालय में घुसे, वहां मौजूद ग्रामीणों ने निगम टीम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों का रौद्र रूप देख हौंसला गवां बैठे अफसरों ने बजाए बुल्डोजर चलाने के ग्रामीणों को वार्ता का न्यौता दिया।

1957 का बताया बैनामा

वार्ता के न्यौते पर रालोद नेता राममेहर सिंह ने अफसरों से जमीन को अपनी बताया। रालोद नेता ने कहा कि मोहम्मद अखलाक का इस जमीन पर 1957 से कब्जा है। इस जमीन का अखलाक के पास बैनामा भी है। निगम बेकार में जमीन को अपना बता रही है। रालोद नेता ने कहा कि अखलाक ने सिर्फ जमीन की बाउंड्री भर कराई है। रालोद नेता के जवाब में अपर नगर आयुक्त मृत्युंजय ने कोर्ट का आदेश निगम के पक्ष बताकर जमीन से कब्जा हटवाने की बात कही। मृत्युंजय ने कहा कि कोर्ट के आदेशानुसार जमीन निगम की है। इसलिए निगम को जमीन से अवैध कब्जा हटाना है।

नौकर हो, औकात में रहो

कब्जा हटवाने को लेकर बने तनातनी के माहौल में रालोद नेता ने अफसरों को जमकर लताड़ा। रालोद नेता ने कहा कि आप नौकर हो अपनी औकात में रहो। नौकर मालिक को उल्टा जवाब दे अच्छा नहीं लगता। रालोद नेता ने कहा कि तुम्हारे नगर आयुक्त को इतनी भी तमीज नहीं है कि दफ्तर में पहुंचे नेताओं से कैसे पेस आना चाहिए। जब हम लोग उससे बात करने गए थे तो उसने पानी पिलाना तो दूर हमसे ठीक से बात भी नहीं की।

नेता जी! चार रद्दे तो उतार ही लो

निगम अफसरों ने ग्रामीणों पर सख्ती दिखाने से लेकर खुशामंद तक की, लेकिन कोई बात न बन पाई। अफसरों ने इस पूरे घटनाक्रम में तीन बार ग्रामीणों और रालोद नेताओं से अलग-अलग बात की। बात बनती न देख अपर नगर आयुक्त मृत्युंजय ने रालोद नेता से कहा कि कब्जा नहीं हटाएंगे तो हम जाएंगे कैसे? कम से कम दीवार के चार रद्दे ही उतार दो। उसी में कब्जा हटवाने की संतुष्टि कर ली जाएगी।

प्रताप गढ़ के ठाकुर को भेजो

सुबह आठ बजे से ही मौके किसानों के साथ कब्जा जमाए बैठे रालोद नेताओं ने अफसरों की जमकर चुटकी ली। रालोद नेता राममेहर ने कहा कि हमारे नगर आयुक्त अपने आप को प्रताप गढ़ का ठाकुर कहते हैं। लेकिन यहां ठाकुर साहब दिखाई नहीं दे रहे। रालोद नेता ने निगम अफसरों से कहा कि जाओ और अपने ठाकुर को भेजो। तनिक हम भी देंखे ठाकुर साहब आते हैं या नहीं। मेरठ का कड़वा पानी बताते हुए नगर आयुक्त को इससे दूर रहने की सलाह दी।

कब्जा मुक्त कराकर ही घुसना

मौके पर घमासान की अशंका देख निगम अफसरों ने नगर आयुक्त को पूरा वाकिया बताया। इस पर झल्लाए नगर आयुक्त ने अफसरों को फटकार लगाते हुए जमीन को मुक्ता कराए बिना निगम दफ्तर में न घुसने की चेतावनी दी। नगर आयुक्त के इस रवैये अफसरों के होश उड़ गए। एक ओर नगर आयुक्त का अडियल रवैया और दूसरी और ग्रामीणों का आक्रोश इस पर अफसर चक्कर उड़ गए। हालांकि बाद में नगर आयुक्त ने टीम को वापस बुला लिया।

छह घंटे तक चला ड्रामा

सुबह 11 बजे से कब्जा हटवाने को लेकर शुरू हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा शाम 5:00 तक चला। छह घंटे के इस लंबे पीरियड में पुलिस और अफसर खूब सुस्ताते नजर आए। यहां तक कि कुछ पुलिस वाले तो बेचारे अपनी गाडि़यों से बाहर भी नहीं निकले और अंदर ही बैठे गप्पे मारते रहे। दिन ढ़लने के साथ ही जब ग्रामीणों ने विवादित स्थल नहीं छोड़ा तो अफसरों ने मौके से वापस लौट जाने में भी भलाई समझी। शाम पांच बजे निगम टीम पूरे लाव लश्कर के साथ पास लौट आई।

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क्या है जमीनी रार

ग्रामीण चौधरी अखलाख ने बताया कि उसके पूर्वजों बाबू व अब्दुल गनी ने खसरा संख्या-970, रकबा तीन बीघा जमीन अब्दुल्लापुर निवासी नजीर फातिमा पत्नी जुल्फीकार अली से 1957 ने खरीदी थी। जिसके बाद से जमीन पर उनका ही कब्जा चला आ रहा है। अखलाख ने बताया इस दौरान खसरा संख्या-970 गलती से अब्दुल्लापुर टाउन एरिया में अंकित हो गया, जिसकी पुष्टि तहसील ने भी अपनी रिपोर्ट में की है। लेकिन निगम तब से इस जमीन को अपनी बताता आ रहा है। ग्रामीण के मुताबिक अब यह मामला मेरठ न्यायलय में विचाराधीन है।