-हर एमओयू की गहनता से जांच, फिर करेंगे उद्योगपतियों से बात

- उद्योगों को जमीनें देने के लिए नये सिरे से शुरू की जाएगी कवायद

- यूपी इंवेस्टर्स समिट की सफलता के बाद अफसरों पर बढ़ा काम का बोझ

LUCKNOW :यूपी इंवेस्टर्स समिट की शानदार सफलता ने यूपी सरकार के अधिकारियों पर काम का बोझ बढ़ा दिया है। उम्मीद से ज्यादा एमओयू होने से अफसरों को अब इन्हें धरातल पर उतरने की चिंता सताने लगी है। समिट के समापन के अगले दिन से ही उद्योग विभाग में आगे की रणनीति तय होने लगी कि किस तरह हर एमओयू का पीछा किया जाए। अफसरों की चिंता एमओयू के बाद उद्योगपतियों को जमीनें देने को लेकर भी है। इसे लेकर जल्द की उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की जा सकती है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार किस तरह उद्योगपतियों की आशाओं पर खरी उतरती है।

कहां कितनी जमीन दे सकते हैं

उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो सर्वाधिक मुश्किलें उद्योगपतियों को जमीनें देने को लेकर आ सकती है। दरअसल राज्य सरकार ने समिट से पहले उद्योगपतियों को जमीनें देने के लिए हर जिले के डीएम को लैंड बैंक का ब्योरा जुटाने को कहा था। समिट में उद्योगपतियों ने अपनी पसंद के इलाके बताए हैं जिससे नये सिरे से इस काम को वर्क आउट किया जाना है। फिलहाल राज्य सरकार यूपीएसआईडीसी की जमीनों को उद्योगपतियों को देना चाहती है लेकिन ज्यादातर की रुचि एक्सप्रेस वे और औद्योगिक कॉरीडोर में है। वहीं यूपीएसआईडीसी की साख भी उद्योगपतियों के बीच अच्छी नहीं है। यही वजह है कि उद्योग विभाग के अफसर जल्द ही हर एमओयू की गहनता से पड़ताल करने जा रहे हैं कि उद्योगों को कुल कितनी जमीनों की आवश्यकता है।

कितने गंभीर हैं निवेशक, परखना बाकी

वहीं अफसरों को यह भी परखना बाकी है कि किन उद्योगपतियों ने पूरी गंभीरता के साथ एमओयू साइन किए हैं। दरअसल कई बार यह सामने आया है कि उद्योगपति जमीन पाने के चक्कर में एमओयू तो साइन कर लेते हैं लेकिन सालों तक उस पर कोई उद्योग स्थापित नहीं करते। इस तरह के मामले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सामने भी आ चुके हैं। राज्य सरकार ने पहले ऐसे उद्योगपतियों से जमीनें वापस लेने की रणनीति बनाई थी लेकिन अब उन्हें एक मौका और देने का फैसला लिया गया है। वहीं समिट में हुए एमओयू की एक हफ्ते के भीतर जांच-पड़ताल के बाद उद्योगपतियों को फोन करने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। अधिकारी उनसे जमीनें आवंटित करने और उद्योग लगाने की समय-सीमा के बारे में पूछेंगे। इसके बाद नये सिरे से रणनीति बनाकर जमीनें देने की कवायद की जाएगी।

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पहली बार दिखा इतना कोआर्डिनेशन

इंवेस्टर्स समिट की सफलता की एक बड़ी वजह राज्य और केंद्र के अधिकारियों के बीच का शानदार कोआर्डिनेशन भी रहा। पहली बार इतने बड़े पैमाने पर उद्योगपतियों को बुलाकर समिट का आयोजन करने और उसे सफल बनाने में केंद्र के कई मंत्रियों और अधिकारियों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। इसी वजह से तमाम नये क्षेत्रों में भी उद्योगों की स्थापना की बुनियाद रखी जा सकी। उद्योगों की स्थापना सही समय पर हो सके, इसके लिए राज्य सरकार निवेश मित्र पोर्टल को आधिकारिक मंजूरी भी देने जा रही है। ध्यान रहे कि समिट में इसे लांच तो किया गया था लेकिन अभी तक इसका शासनादेश जारी नहीं किया गया है। इसके अलावा निवेश मित्र पर आने वाली उद्यमियों की समस्याओं को दूर करने के लिए अफसरों की जिम्मेदारी भी तय की जानी है क्योंकि इसकी मॉनीटरिंग सीएम ऑफिस स्तर से होनी है।