- सिंचाई विभाग के पिलर कई बिल्डरों के लिए अभयदान हुए साबित

- वर्ष 2010 में आई बाढ़ के आधार पर निर्धारण हुआ यमुना डूब क्षेत्र

आगरा। एनजीटी के लोकल कमिश्नर मुकेश कुमार गुप्ता ने अपने दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन भी बेहद नाराजगी जताई। वह यमुना डूब क्षेत्र में निर्माणों का निरीक्षण करने पहुंचे तो एडीए अधिकारी आगरा के जवाहरबाग को डिफाइन नहीं कर सके। इसे लेकर कमिश्नर एडीए अधिकारियों पर गुस्सा हो गए। हालांकि एडीए के अधिशासी अभियंता ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। यमुना को मूल स्वरूप में लाने के लिए डीके जोशी ने एनजीटी में याचिका दायर की थी। इस पर एनजीटी लगातार सख्ती बरते हुए है।

कौन सा है जवाहरबाग

एनजीटी के कमिश्नर मुकेश कुमार गुप्ता पुष्पाजलि सीजन, विभव वाटिका, गणपति वंडर सिटी, राधा बल्लभ कॉलेज और यमुना के बीच की दूरी नापतौल की गई। फिर वे राजश्री गार्डन के पास स्थित जवाहरबाग के पास पहुंचे। वहां उन्होंने एडीए अफसरों से पूछा कि 'जवाहरबाग सेकंड' कौन सा है। यह पूछने पर एडीए अधिकारी बगलें झांकने लगे। तमतमाते हुए कहा कि 'तुम्हे ये ही नहीं पता है कि जवाहबाग सेकंड कौन सा है तो यहां पर लाकर क्यों खड़ा कर दिया है।

अफसर नहीं दे सके सटीक जवाब

कमिश्नर के इस सख्त रूख को देखकर एडीए अधिशासी अभियंता राजीव दीक्षित आगे आए। उन्होंने कहा कि जवाहबाग ही सेकंड जवाहरबाग है। वे उनके जबाव से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा कि याचिका में जबाहरबाग सेकंड का उल्लेख है। एडीए के क्षेत्रीय इंजीनियर को बुलाया गया। वे भी सही जवाब नहीं दे सके। इसके बाद एडीए के अधिशासी अभियंता राजीव दीक्षित ने कहा कि जबाहबाग ही है। सेकंड जवाहरबाग नहीं है। इसके बाद स्थानीय लोगों से पूछताछ की गई। उन्होंने भी कहा कि 'यहां पर जवाहरबाग सेकंड नहीं है'।

वर्ष 2010 का रहा आधार

वर्ष 2010 में आई बाढ़ को आधार मानते हुए नापतौल हुई। उसी के आधार पर पिलर लगाए गए हैं। यमुना डूब क्षेत्र निर्धारण के कार्य में सिंचाई विभाग के साथ जल निगम को भी लगाया था, लेकिन जल निगम सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे चिन्हांकन से संतुष्ट नहीं थे, इसके कारण जल निगम ने अपने आप को अलग कर लिया।

राजश्री गार्डन का सीवर गिरता है यमुना में

एनजीटी के लोकल कमिश्नर मुकेश गुप्ता राजश्री गार्डन पहुंचे, जो कि उसकी बाउंड्रीबॉल यमुना से लगी हुई है। इसके बाद उन्होंने सीवर की जानकारी की। तो उन्हें बताया गया कि सभी के सेफ्टी टेंक बने हुए हैं। ओवर फ्लो होने के बाद नाली के माध्यम से यमुना में गिरता है।

ए श्रेणी के निर्माणों का भी सर्वे

ए श्रेणी की कुल सभी 19 निर्माणों का सर्वे शनिवार को पूर्ण हो गया। प्रथम फेस में इन्हीं कमिश्नर ने छह निर्माणों का सर्वे किया था। अब द्वितीय फेस के दो दिवसीय दौरे में पहले दिन चार और द्वितीय दिन शेष नौ का सर्वे किया गया। पुष्पाजंलि सीजन, विभव बाटिका, गणपति वडर सिटी, राधा बल्लभ, राजश्री गार्डन, जवाहरबाग, कल्याणी हाईटस आदि नौ निर्माणों का सर्वे हुआ।

सिंचाई विभाग की उंगली पर हुई नापतौल

सिंचाई विभाग की जिधर उंगली हो जाती, उधर ही फीता रख दिया जाता था। सिंचाई विभाग द्वारा लगाए गए पिलरों पर याचिका कर्ता डीके जोशी के सहयोगियों ने संका व्यक्त की। कई निर्माण यमुना डूब क्षेत्र में प्रदर्शित होते हुए भी सिंचाई विभाग द्वारा लगाए गए पिलरों से साफ बचते हुए दिखाई दिए।

डीके जोशी नहीं थे मौजूद

इस बार सर्वे के दौरान याचिकाकर्ता डीके जोशी तबियत खराब होने के कारण मौके पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके कुछ लोग जरूर मौके पर थे। उनके एक व्यक्ति ने शहर के प्रमुख बिल्डर की इमारत को यमुना डूब क्षेत्र में होने का दावा किया, जबकि सिंचाई विभाग के पिलरों के मुताबिक वह निर्माण काफी हद तक बचा हुआ है।