- पैमाइश हुई पूरी, अब निर्णय की बारी

आगरा। एनजीटी के आदेश पर यमुना डूब क्षेत्र की पैमाइश करने पहुंची टीम ने अपना काम कर लिया है। इससे पहले हुई पैमाइश से कई बिल्डर बच निकले थे, लेकिन इस बार हुई पैमाइश के बाद से वे भी यमुना डूब क्षेत्र में आ रहे हैं, जिससे उनका पसीना छूटा हुआ है।

21 फरवरी को होगी सुनवाई

एनजीटी के आदेश पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, केंद्रीय जल आयोग, सिंचाई विभाग, नगर निगम, एडीए, यूपीपीसीबी, जल निगम की संयुक्त टीम ने पैमाइश पूरी कर ली है। जिसपर 21 फरवरी को एनजीटी में होने वाली सुनवाई के दौरान टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। एनजीटी क्या फैसला सुनाती है, यह देखने का विषय होगा।

सिकंदरपुर से की थी पैमाइश

टीम ने शुक्रवार को सिकंदरपुर से पैमाइश शुरू की थी। अपर्णा रिवर व्यू तक छूटे हुए कई हिस्सों की पैमाइश की गई है। इसके आसपास कई निर्माण ऐसे हैं जो पहले यमुना डूब क्षेत्र की सीमा से बाहर थे, लेकिन इस बार यमुना डूब क्षेत्र में आते दिख रहे हैं। यह कार्रवाई समाजसेवी स्व। डीके जोशी की याचिका पर चल रही है। टीम निर्धारित दूरी पर मुड्डियां लगाकर डूब क्षेत्र को प्रदर्शित भी करती जा रही थी। इससे लोगों का आभास हो गया है कि उनके भी निर्माण यमुना डूब क्षेत्र में आ सकते हैं।

वर्ष 2010 को बनाया है आधार

इसके लिए वर्ष 2010 में आई बाढ़ को आधार बनाया गया। सेटेलाइट इमेज से डूब क्षेत्र की पहचान की गई। शुक्रवार को संयुक्त जांच टीम ने डूब क्षेत्र निर्धारण का अपना काम पूरा कर लिया। 21 फरवरी को यह रिपोर्ट एनजीटी के सामने पेश होनी है, इसलिए एक टीम ने लगे हाथ रिपोर्ट भी तैयार कर रही है। जिस तरह से मुड्डियां गाड़ी गई हैं, उसके बाद यह साफ हो गया है कि आधा दर्जन से अधिक निर्माण डूब की चपेट में आ सकते हैं।

पहले नहीं था डूब क्षेत्र में

इस बार हुई पैमाइश में सर्वाधिक प्रभावित प्रोजेक्ट के रूप में गणपति वंडर सिटी शामिल हो सकता है। पहले किसी भी रिपोर्ट में यह प्रोजेक्ट डूब क्षेत्र में शामिल नहीं था, लेकिन नए निर्धारण में प्रोजेक्ट का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ है।