राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस पूरे मामले में एक पिता-पुत्री की जान जाने को लेकर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।

चार हफ्ते का टाइम

मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के इस मेडिकल कॉलेज के मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के अंदर मामले की जांच रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही इस मामले में दोषियों के खिलाफ उठाए गए कदमों और पीडि़तों के परिवार वालों की राहत के लिए किए गए उपायों की भी जानकारी मांगी है।

बेहद अमानवीय

आयोग को मिली जानकारी के मुताबिक इसी महीने की तीन तारीख को मेरठ जिला अस्पताल में भर्ती मांगे राम नाम के मरीज को यहां से मेरठ मेडिकल कॉलेज अस्पताल ट्रांसफर किया गया था। उसके रिश्तेदार उसे अस्पताल में भर्ती करवाने का प्रयास कर रहे थे, उसी दौरान उसकी दो साल की बेटी भी अचानक गंभीर रूप से बीमार हो गई। मगर अस्पताल ने इन दोनों की गंभीर हालत को देखने के बावजूद इनका दाखिला नहीं लिया। उस समय अस्पताल में हड़ताल चल रही थी। इलाज के अभाव में दोनों की जान चली गई। आयोग ने कहा है कि अगर वास्तव में ऐसा हुआ है तो यह बेहद अमानवीय है।