RANCHI: झारखंड की राजधानी रांची के आसपास के इलाकों में अब भी इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी और उनके सहयोगी छिप कर रहे हैं। इन आतंकियों की खोज खबर लेने के लिए दिल्ली एनआईए की टीम रविवार को रांची पहुंची। यहां टीम ने फरार आतंकियों की तलाश में संभावित ठिकानों को खंगाला। फिर, डीएसपी एनआईए कोर्ट में भी गए और वहां से कुछ रिकॉर्ड खोजा। दिन भर खाक छानने के बाद डीएसपी शाम को दिल्ली वापस लौट गए।

झारखंड आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना

झारखंड इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बना हुआ है। यहां आतंकी और टाइमर बम बनाये जाते हैं। इस संगठन का कई जिलों में व्यवस्थित नेटवर्क भी है। लंबे समय से इस बात के संकेत मिल रहे थे कि झारखंड आतंकियों के लिए सुरक्षित जगह बनता जा रहा है। आतंकी संगठनों के लोग यहां आते हैं। आतंकियों को झारखंड के कुछ भटके हुए लोग सुरक्षा दे रहे हैं। पटना सीरियल बम ब्लास्ट से पहले झारखंड में आतंकियों के खिलाफ जो भी कार्रवाई हुई, वो सभी बाहर की पुलिस या आइबी के स्तर से की गई।

टाटा में रहता था आतंकी शाहनवाज

वर्ष ख्00फ् दीपावली के दो दिन पहले आतंकियों ने दिल्ली के अंसल प्लाजा में बम विस्फोट किया था। लश्कर-ए-तैयबा नामक आतंकी संगठन ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस विस्फोट के आरोपी शाहनवाज को पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था। बाद में पता चला था कि शाहनवाज जमशेदपुर में रह रहा था। जमशेदपुर में रह कर उसने न सिर्फ ड्राइविंग सीखी थी, बल्कि ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाया था। मारे जाने के बाद पुलिस को उसकी जेब से ड्राइविंग लाइसेंस मिला था।

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आतंकियों की नेम मिस्ट्री बनी एनआइए के लिए चुनौती

पुलिस और एनआइए को आतंकियों व उनके समर्थकों के जो नाम बताए गए हैं, वे नेम मिस्ट्री कांड के अनुसंधान को प्रभावित कर रहे हैं। आतंकियों की नेम मिस्ट्री एनआइए के लिए चुनौती बन गई है। एक आदमी के ढेर सारे नाम के कारण एनआइए को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए ये लोग अपने ओरिजिनल नेम को संगठन के कुछ चुनिंदा लोगों को ही बताते हैं। आइएम सुप्रीमो खुद एक नाम का चुन कर उन्हें देता है। संगठन में उसके अन्य सहयोगी भी उसी नाम से उसे जानते हैं। पूर्व में जब पुलिस मामले की छानबीन करने पहुंची तो उन नामों से कोई बुजुर्ग निकला तो कोई आठ- नौ साल का बच्चा?

मंजर इमाम निकला अबु हनीफ

हैदराबाद बम ब्लास्ट कांड के आरोपी रांची के मंजर इमामुद्दीन उर्फ मंजर इमाम उर्फ जलील उर्फ अबु हनीफ को कांके थाना पुलिस के सहयोग से सीआइपी के पास दबोच गया था। केरल की एर्नाकुलम पुलिस व लखनऊ एनआइए की टीम ने यह खुलासा किया था कि असल में मंजर इमाम ही अबु हनीफ है। उस पर केरल से लेकर सूरत तक के आतंकी वारदातों में भागीदारी के आरोप थे।

रियाज रांची में दानिश नाम से रहता था

गुजरात सूरत क्राइम ब्रांच की टीम ने जिस दानिश को गुजरात बम ब्लास्ट में स्टेशन के पास से अरेस्ट किया था। गुजरात एटीएस की टीम उसे रियाज के नाम से जानती थी। इसलिए उसकी अरेस्टिंग जल्द नहीं हो सकी थी। जब एनआइए की टीम ने पहली बार रांची में धावा बोला तो घर से पता चला कि रियाज का असल नाम दानिश है। इसके बाद उसका नाम दानिश रियाज हो गया।