नोट-पढ़ी नहीं गई है
-बगैर खलासी चल रही नगर निगम की कूड़ा गाड़ी
-131 गाडि़यों के लिए एक भी खलासी की नहीं है व्यवस्था
-दुर्घटना को दावत देते चल रही खलासी लेस गाडि़यां
जिले के सबसे बड़े विभागों में गिने जाने वाले नगर निगम की कूड़ा गाडि़यां सड़कों पर होने वाले हादसों को दावत दे रही है। क्योंकि शहर भर में कूड़ा उठाने वाली निगम की सैकड़ों गाडि़यों से खलासी नदारत है। यह गाडि़यां सिर्फ चालकों के भरोसे ही चल रही है। जबकि नियम के मुताबिक हर गाड़ी में ड्राइवर के साथ एक खलासी का होना जरुरी है.बावजूद इसके नगर निगम में नियमों की अनदेखी जारी है। हैरानी इस बात की भी हैं कि ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाने वाले ट्रैफिक पुलिस भी इससे अंजान है।
गाड़ी आ जाती है खलासी नहीं
सूत्रों की माने तो निगम में ठीक-ठाक गाडि़यों को भी कंडम घोषित कर नई गाडि़यां खरीद ली जाती है। लेकिन खलासी की व्यवस्था नहीं की जाती है। क्योंकि खलासी में कमाई नहीं होती। सूत्रों का कहना हैं कि नई गाड़ी में मोटा कमीशन बन जाता है। लेकिन खलासी को पेमेंट करना होता। यही वजह है कि खलासी लाने की फिक्र किसी को नहीं है। हैरानी कि बात डंफर जैसी बड़ी गाडि़यों में भी खलासी की तैनाती नहंी है। जिससे पीछे या बगल से आने वाली गाडि़यों पर नजर रखी जा सके।
बना रहता है हादसे का डर
निगम कर्मचारियों की माने तो खलासी की कमी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। गाडि़यों में उनके न होने से ड्राइवरों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। कब कहां हादसा हो जाए इसकी शंका हमेशा बनी पहती है। शहरों से कूड़ा लादने के बाद बड़ी गाडि़यां हाइवे के रास्ते करसड़ा जाता है। इस दौरान उन्हें पता नहीं लग पाता कि उनके बाएं साइड कौन सा वाहन आ रहा है।
वर्तमान में यहां 12 कंपोजिटर वैन के लिए 39 खलासी है। इसके अलावा अन्य किसी भी गाड़ी में खलासी नहीं है। इनकी संख्या बढ़ाने के लिए डिमांड भेजी गई है।
ललीत मोहन श्रीवास्तव-अधीक्षक आलोक विभाग, नगर निगम
एक नजर
संख्या गाड़ी ड्राइवर खलासी
29 डंफर 29 0
51 मैजिक 51 0
36 टाटा 36 0
15 हैफर 15 0
09 डीपी 09 0
12 कंपोजीटर 12 39