PATNA : रविवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग के शासी परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई। बैठक के दौरान उन्होंने विकास के मानकों के साथ-साथ मानव विकास से संबंधित सूचकांक में बिहार के पिछड़ेपन का मुद्दा भी उठाया। सात निश्चय के तहत चल रहे कार्यक्रमों, सामाजिक अभियान के अंतर्गत शराबबंदी, दहेज उन्मूलन व बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान के लिए संसाधन उपलध कराने की मांग रखी।

क्या होगा फायदा

विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के केंद्रांश में वृद्धि होगी। इससे राज्य को अपने संसाधनों का उपयोग, विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलेगा। केंद्रीय जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।

1651.29 करोड़ का हो भुगतान

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरजीएफ के माध्यम से विशेष योजना के तहत लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अवशेष 1651.29 करोड़ रुपए शीघ्र उपलध कराए जाए। वहीं 12 वीं पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत राशि में से अवशेष 902.08 करोड़ के विरुद्ध पूर्व से भेजे गए दो प्रस्तावों की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर दी जाए।

एमडीएम का पैसा लाभार्थी को मिले

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक में मांग की कि स्कूलों में मिड डे मील को बंद कर उसकी राशि संबंधित लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे स्थानांतरित की जाए। आंगनबाड़ी केंद्रों पर दिए जाने वाले भोजन को लेकर भी डायरेक्ट बेनफिट ट्रांसफर मोड में लाभुक के खाते में पैसा स्थानांतरित किया जाए।

संविदा कर्मी का भार केंद्र उठाए

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अनेक कर्मियों को संविदा पर बहाल किया जाता है। ऐसे कर्मियों की संख्या खासी बड़ी है और ये संगठित होकर मांग करते हैं। उनका सुझाव है कि अगर केंद्र प्रायोजित योजनाओं में ऐसे कर्मियों को लंबी अवधि तक बहाल रखा जाता है तो इनके मानदेय में एक निर्धारित अवधि पर यथोचित बढ़ोतरी की जानी चाहिए और इसका पूर्ण वित्तीय भार केंद्र सरकार को वहन करना चाहिए।