हालाकि भाजपा विधायकों ने बुधवार को विधानसभा में नीतीश सरकार के बहुमत साबित करने के दौरान सदन का बहिष्कार किया पर सरकार अपना बहुमत साबित करने में कामयाब हो गयी. लॉबी डिवीजन के जरिये हुए मतदान में सरकार के पक्ष में 140 सदस्यों ने वोट किया, जबकि विपक्ष की लॉबी खाली रही. जदयू के अतिरिक्त राजद, कांग्रेस व भाकपा विधायकों ने सरकार का समर्थन किया. विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा. सदस्यता जाने के डर से मांझी गुट के सभी विधायकों ने सरकार के पक्ष में मतदान किया, हालांकि खुद जीतनराम मांझी सदन से अनुपस्थित रहे. मांझी ने किसी भी परिणाम की परवाह न होने की बात कही है.

भाजपा ने किए प्रहार

बहिष्कार से पहले अपने भाषण में नेता प्रतिपक्ष नंद किशोर यादव ने खूब व्यंग्य बाण छोड़े. उन्होंने नीतीश कुमार को लालू प्रसाद के विषय में दिए गए वक्तव्य भी याद दिलाए और कहा कि नीतीश बिहार की बर्बादी के लिए लालू प्रसाद को जिम्मेदार ठहराते नहीं थकते थे. आज सत्ता के लिए उनसे ही हाथ मिला लिया. नंदकिशोर ने कहा कि नीतीश ने कांग्रेस के खिलाफ भी जमकर आग उगली थी. वे देश के पूर्वात्तर इलाके के पिछड़ेपन के लिए संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. इन सबके बावजूद कांग्रेस से दोस्ती करने में वे जरा भी नहीं हिचके.

भाजपा पर नीतीश का पलटवार

इसके बाद विश्वास मत पर बोलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में हाल की राजनीतिक घटनाओं के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि गंदी राजनीतिके चलते राज्य को अस्थिरता का दौर देखना पड़ा. भाजपा के सदन का बहिष्कार किए जाने पर नीतीश कुमार ने चुटकी लेते हुए कहा कि उसने अपने आचरण के अनुरूप सरकार के जवाब का बहिष्कार किया है. मुख्यमंत्री इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह महादलित हितैषी होने का दिखावा करती है. मांझी सरकार को भाजपा ने रिमोट से चलाने का प्रयास किया और जब असफल रही तो जदयू को तोडऩे का प्रयास किया, लेकिन दाल नहीं गली. उन्होंने कहा कि जनता की सेवा के लिए सबको साथ लेकर काम करने का प्रयास करते रहेंगे, मगर जो लोग राज्य के विकास में रोड़े लगाना चाहते हैं, उन्हें जनता कतई माफ नहीं करेगी. उन्होंने अपनी और लालू की पृष्ठभूमि एक ही बताई और कहा वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन राज्य के विकास का अपना महत्व है. इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के अभिभाषण के बाद विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया.

मांझी के साथी आए नीतीश के साथ

भले ही भजपा ने अपना विरोध दिखाने के लिए सदन का बहिष्कार किया और विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ सका पर सदस्यता बचाने की खातिर मांझी गुट के विधायकों ने नीतीश के पक्ष में ही वोट करना ठीक समझा. इन विधायकों में वृशिण पटेल, नीतीश मिश्र, शाहिद अली खान, सुनील कुमार, दिनेश कुशवाहा, राजीव रंजन, अनिल कुमार, सुमित कुमार, राजेश्वर राज और अजय प्रताप शामिल थे. कुछ इस तरह हुआ वोट का बटवारा जदयू के 109, राजद के 24, कांग्रेस के 05, भाकपा के 01, निर्दलीय 01, कुल 140.

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