PATNA : नालंदा मेडिकल कॉलेज का नाम आते ही लोगों के जेहन में बरसात का वह दिन आता है जब हल्की सी बारिश में आईसीयू में मछलियां तैरने लगी थीं। प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में यह मेडिकल कॉलेज रातोरात चर्चा में आ गया था। सरकार ने इसे स्वास्थ्य सेवा पर चोट माना और बड़े बजट से हॉस्पिटल को माडर्न बनाने में लग गई लेकिन बात व्यवस्था की करे तो आज भी मेडिकल कॉलेज संक्रमण को लेकर सेफ नहीं है। यहां ओटी के ड्रेस से लेकर स्टाफ की वर्दी में भी संक्रमण दिया जा रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण मरीजों में संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है।

नियम तोड़ता आदेश

आदेश है कि ओटी स्टाफ और डॉक्टरों के कपड़ों को लेकर पूरी तरह से हाईजीन का ख्याल रखा जाए। इसके लिए मेडिकल कॉलेज को बड़ा बजट दिया जाता है। इस बजट से ओटी स्टाफ के ड्रेस और बेडशीट के साथ अन्य ओटीे के कपड़ों की धुलाई की जाती है। लेकिन हर साल लाखों के बजट के बाद भी धुलाई गंदे पानी से की जाती है और कपड़ों को सुखाया भी ऐसे स्थानों पर जाता है जहां से संक्रमण फैलने की आशंका होती है।

पड़ताल पर सच आया सामने

नालंदा मेडिकल कॉलेज से आए दिन शिकायत मिल रही थी कि बरसात में मछली तैरने के बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी है। यहां कपड़ों की धुलाई में हाईजीन का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। शिकायतों के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब मौके पर पहुंचकर पड़ताल किया तो बड़े पैमाने पर मनमानी सामने आई।

सामने है आंखों देखा हाल

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम नालंदा मेडिकल कॉलेज पहुंची तो वहां शौचालय के पास काफी संख्या में कपड़ों को जमीन पर ही सुखाया जा रहा था। इन कपड़ों को देखकर साफ लग रहा था कि यह ओटी में पहनने वाले कपड़े हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि हर दिन ऐसे ही शौचालय में कपड़ों की धुलाई के बाद जमीन पर सुखाया जाता है। अब सवाल यह है कि क्यों कपड़ों की धुलाई में बड़े बजट के बाद भी संक्रमण को लेकर अलर्ट नहीं रहा जाता है।